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श्री सूर्य देव चालीसा / Sri Surya Deva Chalisa

Fri - Apr 12, 2024

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श्री सूर्य देव चालीसा एक प्रार्थना स्तोत्र है जो हिंदू धर्म में सूर्य देव को समर्पित है। इस चालीसा में सूर्य देव की महिमा, गुण, और कृपा का वर्णन किया गया है, और भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया गया है। इस चालीसा के पाठ से भक्त सूर्य देव की कृपा, सौभाग्य, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

चालीसा

॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।

पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥

॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥

भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥

विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥

अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥

सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥

मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥

पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥

चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥

सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥

उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥

भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥

युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥

बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥

जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥

सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं॥

दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥

अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥

मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥

परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥

भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥

॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।

सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥

लाभ

श्री सूर्य देव चालीसा के पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:

1. सौर शक्ति का आशीर्वाद: श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को सौर शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।

2. स्वास्थ्य लाभ: चालीसा के पाठ से सौर्य देव की कृपा से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है और रोगों से बचाव होता है।

3. उत्तम कार्यक्षमता: सूर्य देव की चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और उसका कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

4. अध्यात्मिक विकास: चालीसा के पाठ से व्यक्ति का आत्मानुभूति में विकास होता है और उसकी अध्यात्मिक जीवन में गहराई आती है।

5. धन लाभ: श्री सूर्य देव चालीसा के पाठ से व्यक्ति को धन की प्राप्ति में सहायता मिलती है और उसके जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है।

6. सुख और शांति: चालीसा के पाठ से मन को शांति और सुख की प्राप्ति होती है और व्यक्ति का जीवन समृद्धि से भर जाता है।

इस प्रकार, श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं और उसका जीवन समृद्धि और सुख से भर जाता है।

कैसे और कब जप करें ?

श्री सूर्य देव चालीसा का जप करने के लिए निम्नलिखित तरीके का पालन करें:

1. समय का चयन: श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ सुबह या सायंकाल के समय में किया जा सकता है। यह सबसे शुभ समय होता है, लेकिन आप इसे अपने आवश्यकतानुसार भी जप सकते हैं।

2. ध्यानावस्था: जप करने से पहले, ध्यान लगाएं और अपने मन को शांत और स्थिर करें। एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां आप निष्क्रियता में हों।

3. भक्ति और श्रद्धा के साथ जप करें: चालीसा के पाठ के दौरान भक्ति और श्रद्धा के साथ मन्त्रों को जपें। सोचें कि सूर्य देव की कृपा आप पर हो रही है।

4. माला का प्रयोग: अगर संभव हो, तो माला का प्रयोग करें ताकि आप मंत्रों की गिनती कर सकें।

5. नियमित अभ्यास: नियमित रूप से श्री सूर्य देव चालीसा का जप करें। आप इसे रोज़ाना, साप्ताहिक या किसी विशेष दिन पर कर सकते हैं।

6. ध्यानावस्था के साथ समाप्त करें: जब आपका जप समाप्त हो जाए, तो अपने मन को शांत करें और सूर्य देव का आभास करें। उन्हें धन्यवाद दें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।

इन निर्देशों का पालन करते हुए आप श्री सूर्य देव चालीसा का जप कर सकते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।





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