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आरती श्री कुबेर जी की

Mon - May 13, 2024

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कुबेर आरती का प्रारंभ उपास्य देवता भगवान कुबेर की महिमा, धन और समृद्धि के स्वामी के दिव्य गुणों की स्तुति के साथ होता है। इसका आरंभ विनम्रता और आदर के शब्दों से होता है, भगवान कुबेर के प्रति नमन करते हुए, जो धन के रक्षक और समृद्धि के दाता के रूप में माने जाते हैं।



॥ आरती श्री कुबेर जी की ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।

शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।

मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े

अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।

अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

कुबेर आरती गाने के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

1. **धन और समृद्धि**: कुबेर आरती का गाना धन के स्वामी भगवान कुबेर की कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करता है, जिससे धन और समृद्धि का आगमन होता है।

2. **व्यवसाय में सफलता**: कुबेर आरती के गान से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उद्यमियों को उनकी कारोबारी गतिविधियों में वृद्धि और लाभ मिलता है।

3. **ऋण और वित्तीय चुनौतियों का निवारण**: कुबेर आरती का पाठ करने से वित्तीय बाधाओं, कर्जों और धन संबंधी चुनौतियों का निवारण होता है, और धन के प्रबंधन में भगवान कुबेर की सहायता प्राप्त होती है।

4. **सांस्कृतिक संबंध**: कुबेर आरती का गान कुशल और समृद्ध जीवन के लिए धर्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है, और सांस्कृतिक परंपरा को संजीवित करता है।

5. **स्प्रित्युअल उन्नति**: कुबेर आरती के पाठ से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है, जो व्यक्ति को नैतिक मूल्यों की ओर ले जाती है और उसके जीवन में संतोष और समृद्धि का साधन करती है।

इसके अलावा, कुबेर आरती का गाना भक्ति, ध्यान और आदर के साथ किया जाता है, जिससे धन और समृद्धि के साथ साथ आत्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।

कब गाना है


कुबेर आरती को निम्नलिखित समयों पर गाया जाता है:

1. **प्रातः काल**: कई लोग अपनी सुबह की पूजा या रोज़ाना की पूजा के दौरान कुबेर आरती का पाठ करते हैं, धन और समृद्धि के लिए भगवान कुबेर की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।

2. **विशेष अवसरों पर**: कुबेर जी के उपासन के त्योहारों या धन और समृद्धि से संबंधित महत्वपूर्ण दिनों में, जैसे दीवाली या अक्षय तृतीया, कुबेर आरती का पाठ किया जाता है।

3. **व्यवसायिक कामों के पहले**: कुबेर आरती को नए व्यवसायिक कामों की शुरुआत में भी पाठ किया जाता है, ताकि उद्यमियों को सफलता और समृद्धि की प्राप्ति हो।

4. **वित्तीय योजना और बजट**: कुबेर आरती को वित्तीय योजना और बजट बनाने के दौरान भी पढ़ा जा सकता है, जिससे वित्तीय संसाधनों का सफल प्रबंधन हो सके।

5. **दैनिक पूजा**: कुछ लोग कुबेर आरती को अपनी शाम की पूजा या सोने से पहले अपने दैनिक पूजा अनुष्ठान का हिस्सा बनाते हैं।

6. **पूजा के दौरान**: कुबेर आरती को पूजा के दौरान भी पाठ किया जा सकता है, चाहे वह एक अलग से पूजा हो या फिर किसी बड़े पूजा अनुष्ठान का हिस्सा हो।

सामान्यतः, कुबेर आरती का पाठ ध्यान, भक्ति और आदर के साथ किया जाता है, ताकि धन और समृद्धि की आशीर्वाद मिल सके।

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