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श्री शंकर आरती: गीत, लाभ और महत्व

Tue - May 14, 2024

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"जयति जयति जग निवास" भगवान शंकर को समर्पित एक भक्ति आरती है, जो भगवान शिव का दूसरा नाम है, जो हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह आरती भगवान शंकर को ब्रह्मांड के परम आश्रय के रूप में महिमामंडित करती है और उनके दिव्य गुणों और विशेषताओं की प्रशंसा करती है। यह बुराई के विनाशक और आशीर्वाद देने वाले शिव के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करता है। उत्साह और भक्ति के साथ गाई गई यह आरती भगवान शंकर का आशीर्वाद और सुरक्षा मांगती है, जिससे भक्तों के जीवन में उनकी दिव्य उपस्थिति और कृपा का आह्वान होता है।




श्री शंकर आरती
जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

अजर अमर अज अरूप,सत चित आनन्दरूप।

व्यापक ब्रह्मस्वरूप,भव! भव-भय-हारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

शोभित बिधुबाल भाल,सुरसरिमय जटाजाल।

तीन नयन अति विशाल,मदन-दहन-कारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

भक्तहेतु धरत शूल,करत कठिन शूल फूल।

हियकी सब हरत हूलअचल शान्तिकारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

अमल अरुण चरण कमलसफल करत काम सकल।

भक्ति-मुक्ति देत विमल,माया-भ्रम-टारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

कार्तिकेययुत गणेश,हिमतनया सह महेश।

राजत कैलास-देश,अकल कलाधारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

भूषण तन भूति ब्याल,मुण्डमाल कर कपाल।

सिंह-चर्म हस्ति खाल,डमरू कर धारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥

अशरण जन नित्य शरण,आशुतोष आर्तिहरण।

सब बिधि कल्याण-करणजय जय त्रिपुरारी॥

जयति जयति जग-निवास...॥


फ़ायदे
1. भगवान शंकर के प्रति भक्ति को प्रगाढ़ करता है।
2. भगवान शंकर की दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद का आह्वान करता है।
3. आध्यात्मिक उत्थान और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है।
4. परमात्मा के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा पैदा करता है।
5. आध्यात्मिक संबंध और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है।
6. चुनौतीपूर्ण समय के दौरान सांत्वना और आराम प्रदान करता है।
7. आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय को प्रेरित करता है।
8. भगवान शंकर की दिव्य कृपा में आस्था और विश्वास को मजबूत करता है।


विशेष अवसर और कब गाना है

निश्चित रूप से:

1. महा शिवरात्रि: भगवान शिव के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली यह आरती रात्रि जागरण के दौरान बड़ी भक्ति के साथ गाई जाती है।

2. प्रदोष व्रत: प्रत्येक चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन मनाया जाता है, भक्त इस शुभ समय के दौरान भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस आरती को गाते हैं।

3. श्रावण मास: भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में भक्ति बढ़ जाती है और इस दौरान नियमित रूप से यह आरती गाई जाती है।

4. मंदिर आरती: भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में नियमित आरती समारोहों के दौरान उनकी दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद को आमंत्रित करते हुए गाया जाता है।

5. व्यक्तिगत पूजा: प्रार्थना और ध्यान, भक्ति व्यक्त करने और भगवान शंकर से आशीर्वाद मांगने के व्यक्तिगत क्षणों के लिए चुना गया।


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