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श्री गिरिराज चालीसा / Shri Giriraj Chalisa

Sat - Apr 13, 2024

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"श्री गिरिराज चालीसा" गिरिराज जी महाराज, जिन्हें गोवर्धन नाथ भी कहा जाता है, को समर्पित एक आध्यात्मिक भक्तिगीत है। गिरिराज जी महाराज हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध देवता हैं, जो कृष्ण भगवान के अवतार माने जाते हैं। यह चालीसा उनके गुणों, दिव्य लीलाओं और महिमा का स्तवन करती है। इसे भक्तों द्वारा गिरिराज जी महाराज की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है, भक्ति और आध्यात्मिक संबंध को बढ़ाने के लिए।


चालीसा

दोहा ॥
बन्दहुँ वीणा वादिनी,धरि गणपति को ध्यान।

महाशक्ति राधा सहित,कृष्ण करौ कल्याण॥

सुमिरन करि सब देवगण,गुरु पितु बारम्बार।

बरनौ श्रीगिरिराज यश,निज मति के अनुसार॥

॥ चौपाई ॥
जय हो जय बंदित गिरिराजा।ब्रज मण्डल के श्री महाराजा॥

विष्णु रूप तुम हो अवतारी।सुन्दरता पै जग बलिहारी॥

स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें।सुर मुनि गण दरशन कूं आमें॥

शांत कन्दरा स्वर्ग समाना।जहाँ तपस्वी धरते ध्याना॥

द्रोणगिरि के तुम युवराजा।भक्तन के साधौ हौ काजा॥

मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये।जोर विनय कर तुम कूँ लाये॥

मुनिवर संघ जब ब्रज में आये।लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराये॥

विष्णु धाम गौलोक सुहावन।यमुना गोवर्धन वृन्दावन॥

देख देव मन में ललचाये।बास करन बहु रूप बनाये॥

कोउ बानर कोउ मृग के रूपा।कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा॥

आनन्द लें गोलोक धाम के।परम उपासक रूप नाम के॥

द्वापर अंत भये अवतारी।कृष्णचन्द्र आनन्द मुरारी॥

महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी।पूजा करिबे की मन ठानी॥

ब्रजवासी सब के लिये बुलाई।गोवर्द्धन पूजा करवाई॥

पूजन कूँ व्यञ्जन बनवाये।ब्रजवासी घर घर ते लाये॥

ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी।सहस भुजा तुमने कर लीनी॥

स्वयं प्रकट हो कृष्ण पूजा में।माँग माँग के भोजन पामें॥

लखि नर नारि मन हरषामें।जै जै जै गिरिवर गुण गामें॥

देवराज मन में रिसियाए।नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए॥

छाँया कर ब्रज लियौ बचाई।एकउ बूँद न नीचे आई॥

सात दिवस भई बरसा भारी।थके मेघ भारी जल धारी॥

कृष्णचन्द्र ने नख पै धारे।नमो नमो ब्रज के रखवारे॥

करि अभिमान थके सुरसाई।क्षमा माँग पुनि अस्तुति गाई॥

त्राहि माम् मैं शरण तिहारी।क्षमा करो प्रभु चूक हमारी॥

बार बार बिनती अति कीनी।सात कोस परिकम्मा दीनी॥

संग सुरभि ऐरावत लाये।हाथ जोड़ कर भेंट गहाये॥

अभय दान पा इन्द्र सिहाये।करि प्रणाम निज लोक सिधाये॥

जो यह कथा सुनैं चित लावें।अन्त समय सुरपति पद पावें॥

गोवर्द्धन है नाम तिहारौ।करते भक्तन कौ निस्तारौ॥

जो नर तुम्हरे दर्शन पावें।तिनके दुःख दूर ह्वै जावें॥

कुण्डन में जो करें आचमन।धन्य धन्य वह मानव जीवन॥

मानसी गंगा में जो न्हावें।सीधे स्वर्ग लोक कूँ जावें॥

दूध चढ़ा जो भोग लगावें।आधि व्याधि तेहि पास न आवें॥

जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें।मन वांछित फल निश्चय पावें॥

जो नर देत दूध की धारा।भरौ रहे ताकौ भण्डारा॥

करें जागरण जो नर कोई।दुख दरिद्र भय ताहि न होई॥

'श्याम' शिलामय निज जन त्राता।भक्ति मुक्ति सरबस के दाता॥

पुत्र हीन जो तुम कूँ ध्यावें।ताकूँ पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें॥

दंडौती परिकम्मा करहीं।ते सहजहि भवसागर तरहीं॥

कलि में तुम सम देव न दूजा।सुर नर मुनि सब करते पूजा॥

॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा पढ़ै,सुनै शुद्ध चित्त लाय।

सत्य सत्य यह सत्य है,गिरिवर करै सहाय॥

क्षमा करहुँ अपराध मम,त्राहि माम् गिरिराज।

श्याम बिहारी शरण में,गोवर्द्धन महाराज॥

लाभ

"श्री गिरिराज जी चालीसा" के पाठ के कई लाभ माने जाते हैं। इनमें से कुछ मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:

1. भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति: चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
2. दिव्य आशीर्वाद: गिरिराज जी महाराज के आशीर्वाद को आमंत्रित करने के लिए चालीसा का पाठ किया जाता है, जो आत्मिक उन्नति और विकास को उत्तेजित करता है।
3. रक्षा: चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जाओं और आपदाओं से संरक्षण मिलता है।
4. इच्छा सिद्धि: श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति होती है।
5. आंतरिक शांति: चालीसा के भक्तिमय श्लोकों से मन को शांति मिलती है, जिससे आंतरिक शांति और सुकून महसूस होता है।
6. संकटों का निवारण: चालीसा का पाठ करने से जीवन की चुनौतियों और संकटों को पार करने में मदद मिलती है।
7. आध्यात्मिक विकास: चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक विकास होता है, जो भक्तों को धार्मिक और आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

सम्पूर्ण रूप से, "श्री गिरिराज जी चालीसा" भक्तिमय और आध्यात्मिक उत्थान के लिए एक शक्तिशाली साधना है, जो भक्तों को उनके आध्यात्मिक सफ़र पर संतोष, संरक्षा, और दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती है।

कब और कैसे जाप करें ?

"श्री गिरिराज जी चालीसा" का जाप करने के लिए निम्नलिखित सुझाव हैं:
1. प्रातः काल: सबसे अच्छा समय सुबह के समय होता है, उठते ही और स्नान करने के बाद "श्री गिरिराज जी चालीसा" का पाठ करें।
2.शुभ मुहूर्त: यदि संभव हो, तो इसे शुभ मुहूर्तों पर पढ़ने में अधिक लाभ होता है, जैसे नवरात्रि, पूर्णिमा, या कोई धार्मिक त्योहार।
3. नियमितता: श्री गिरिराज जी की चालीसा को नियमित रूप से पढ़ें, या तो रोज़ाना या सप्ताह में कुछ दिनों के लिए इसे पढ़ें।
4. ध्यान और श्रद्धा: जब आप चालीसा का पाठ कर रहे होते हैं, तो मन को गिरिराज जी महाराज के ध्यान में रखें और श्रद्धा के साथ पढ़ें।
5. पूजा स्थल: जहाँ भी आप पूजा करते हैं, वहाँ चालीसा का पाठ करें। यह आपको ध्यान और शांति के लिए एक संबंधित और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करेगा।
6. प्रार्थना और आवाज़: चालीसा का पाठ करने से पहले और बाद में गिरिराज जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। अपनी आवाज़ को शांत और स्पष्ट रखें।

इस रीति-रिवाज़ का पालन करके, आप "श्री गिरिराज जी चालीसा" का जाप कर सकते हैं और इससे आपको धार्मिक, आध्यात्मिक, और मानसिक लाभ मिल सकते हैं।

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