श्री रामदेव चालीसा / Shri Ramdev Chalisa
Sun - Apr 14, 2024
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"श्री रामदेव चालीसा" राजस्थान, भारत में पूजनीय लोक देवता रामदेव पीर को समर्पित एक भक्तिमय गीत है। भगवान रामदेव को भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में माना जाता है और उनकी अद्भुत शक्तियों और भक्तों के प्रति दयालुता के लिए पूजा जाता है। "श्री रामदेव चालीसा" में भगवान रामदेव की गुणगान, भगवानीय गुण, और चमत्कारों की प्रशंसा है। भक्तों का मानना है कि "श्री रामदेव चालीसा" का नियमित पाठ करने से भगवान रामदेव के साथ एक गहरा आध्यात्मिक संबंध बनता है और उनके आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है।

चालीसा
दोहा ॥
श्री गुरु पद नमन करि,गिरा गनेश मनाय।
कथूं रामदेव विमल यश,सुने पाप विनशाय॥
द्वार केश से आय कर,लिया मनुज अवतार।
अजमल गेह बधावणा,जग में जय जयकार॥
॥ चौपाई ॥
जय जय रामदेव सुर राया।अजमल पुत्र अनोखी माया॥
विष्णु रूप सुर नर के स्वामी।परम प्रतापी अन्तर्यामी॥
ले अवतार अवनि पर आये।तंवर वंश अवतंश कहाये॥
संत जनों के कारज सारे।दानव दैत्य दुष्ट संहारे॥
परच्या प्रथम पिता को दीन्हा।दूध परीण्डा मांही कीन्हा॥
कुमकुम पद पोली दर्शाये।ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये॥
परचा दूजा जननी पाया।दूध उफणता चरा उठाया॥
परचा तीजा पुरजन पाया।चिथड़ों का घोड़ा ही साया॥
परच्या चौथा भैरव मारा।भक्त जनों का कष्ट निवारा॥
पंचम परच्या रतना पाया।पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया॥
परच्या छठा विजयसिंह पाया।जला नगर शरणागत आया॥
परच्या सप्तम् सुगना पाया।मुवा पुत्र हंसता भग आया॥
परच्या अष्टम् बौहित पाया।जा परदेश द्रव्य बहु लाया॥
भंवर डूबती नाव उबारी।प्रगत टेर पहुँचे अवतारी॥
नवमां परच्या वीरम पाया।बनियां आ जब हाल सुनाया॥
दसवां परच्या पा बिनजारा।मिश्री बनी नमक सब खारा॥
परच्या ग्यारह किरपा थारी।नमक हुआ मिश्री फिर सारी॥
परच्या द्वादश ठोकर मारी।निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी॥
परच्या तेरहवां पीर परी पधारया।ल्याय कटोरा कारज सारा॥
चौदहवां परच्या जाभो पाया।निजसर जल खारा करवाया॥
परच्या पन्द्रह फिर बतलाया।राम सरोवर प्रभु खुदवाया॥
परच्या सोलह हरबू पाया।दर्श पाय अतिशय हरषाया॥
परच्या सत्रह हर जी पाया।दूध थणा बकरया के आया॥
सुखी नाडी पानी कीन्हों।आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों॥
परच्या अठारहवां हाकिम पाया।सूते को धरती लुढ़काया॥
परच्या उन्नीसवां दल जी पाया।पुत्र पाय मन में हरषाया॥
परच्या बीसवां पाया सेठाणी।आये प्रभु सुन गदगद वाणी॥
तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा।उक्त उजागर अभय वर दीन्हा॥
परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया।हो अन्धा करनी फल पाया॥
परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां।सातो तवा बेध प्रभु दीन्हां॥
परच्या तेईसवां बादशाह पाया।फेर भक्त को नहीं सताया॥
परच्या चैबीसवां बख्शी पाया।मुवा पुत्र पल में उठ धाया॥
जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां।तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां॥
भक्त टेर सुन आतुर धाते।चढ़ लीले पर जल्दी आते॥
जो जन प्रभु की लीला गावें।मनवांछित कारज फल पावें॥
यह चालीसा सुने सुनावे।ताके कष्ट सकल कट जावे॥
जय जय जय प्रभु लीला धारी।तेरी महिमा अपरम्पारी॥
मैं मूरख क्या गुण तब गाऊँ।कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ॥
नहीं बुद्धि बल घट लव लेशा।मती अनुसार रची चालीसा॥
दास सभी शरण में तेरी।रखियों प्रभु लज्जा मेरी॥
लाभ
"श्री रामदेव चालीसा" का पाठ करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं:
1. आध्यात्मिक उन्नति: चालीसा के पाठ से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वे अपने आत्मिक सफ़र में आगे बढ़ सकते हैं।
2. शांति और सुख: चालीसा के पाठ से मन की शांति और सुकून मिलता है, जो भक्तों को आनंद और सुख का अनुभव करने में मदद करता है
3. रोग निवारण: भगवान रामदेव की कृपा से चालीसा के पाठ से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है और उनकी सेहत मजबूत होती है।
4. संतान सुख: चालीसा के पाठ से पुत्र-पुत्री की प्राप्ति में सहायता मिलती है और परिवार में संतान का सुख प्राप्त होता है।
5. आर्थिक समृद्धि: भक्तों को चालीसा के पाठ से आर्थिक समृद्धि मिलती है और उनके जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है।
6. संकट से मुक्ति: चालीसा के पाठ से भक्तों को संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सफलता का मार्ग प्रकट होता है।
7. आशीर्वाद: भगवान रामदेव के आशीर्वाद से चालीसा के पाठ करने से भक्तों को जीवन में सफलता, सुख, और खुशी का आनंद मिलता है।
इस प्रकार, "श्री रामदेव चालीसा" के पाठ से भक्तों को आध्यात्मिक, शारीरिक, और आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और आनंद का आभास होता है।
कब और कैसे जप करें ?
"श्री रामदेव चालीसा" को पाठ करने के लिए निम्नलिखित तरीके और समय को अनुसरण किया जा सकता है:
1. समय: श्री रामदेव चालीसा को पाठ करने का सर्वोत्तम समय सुबह के समय होता है, सोने के बाद और प्रातः काल में।
2. नियमितता: चालीसा को नियमित रूप से पढ़ें, या तो रोजाना या सप्ताह में कुछ दिनों के लिए इसे पढ़ें।
3. स्थान: शांत और पवित्र स्थान पर चालीसा का पाठ करें, जैसे मंदिर या पूजा स्थल।
4. ध्यान और श्रद्धा: पाठ करते समय ध्यान और श्रद्धा बनाए रखें, और भगवान रामदेव की कृपा और आशीर्वाद की आकांक्षा करें।
5. अनुष्ठान: चालीसा का पाठ करने से पहले और बाद में प्रार्थना करें।
6. संगठन: चालीसा का पाठ करने के बाद भक्तों के समूह के साथ साझा करें, यदि संभव हो।
इन समय और तरीकों का पालन करते हुए, आप "श्री रामदेव चालीसा" का पाठ कर सकते हैं और उसके माध्यम से भगवान रामदेव की कृपा, आशीर्वाद, और संचालित हो सकते हैं।
ऐसी ही और जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें ।
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