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महालक्ष्मी मंदिर: एक ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थस्थल

Sat - Apr 20, 2024

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भारत में अनेक प्राचीन मंदिर हैं जो अपनी भव्य वास्तुकला, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक है महालक्ष्मी मंदिर, जो महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में स्थित है। यह मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं।

विषय-सूची

1. मंदिर का महत्व और इतिहास
2. वास्तुकला और डिजाइन
3. आखिर क्यों लक्ष्मी को महालक्ष्मी कहा जाता है।
4. महालक्ष्मी मुख्य देवता के रूप में किसकी पूजा की जाती है।
5. मंदिर में पूजे जाने वाले अन्य देवता
6. महालक्ष्मी मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार
7. त्यौहारों के दौरान अनोखे रीति-रिवाज और परंपराएँ
8. पर्यटकों के लिए आस-पास के आकर्षण और दर्शनीय स्थल

महालक्ष्मी मंदिर का महत्व और इतिहास

कोल्हापुर का महालक्षमी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी सती के 51 अंगों के गिरने से बने हैं। यहाँ देवी लक्ष्मी को 'अंबाबाई' के नाम से जाना जाता है। अंबाबाई को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहाँ दर्शन करने के लिए हर साल लाखों भक्त आते है। मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत ज़्यादा है। यहाँ कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें नवरात्रि, दीपावली, और गुड़ी पड़वा प्रमुख हैं ।

मंदिर का इतिहास कई वर्षो पुराना है मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में चालुक्य राजाओं द्वारा करवाया गया था।13वीं शताब्दी में यादव राजाओं द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था। मराठा साम्राज्य के दौरान मंदिर का विशेष महत्व था। छत्रपति शिवाजी महाराज अंबाबाई के भक्त थे और उन्होंने मंदिर को कई दान दिए थे। आज भी महालक्षमी मंदिर कोल्हापुर का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।

महालक्ष्मी मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन

महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर का वास्तुकला और डिजाइन अपनी भव्यता और कलात्मकता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है, जो दक्षिण भारत के मंदिरों की विशेषता है।

1. गर्भगृह: गर्भगृह मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ देवी अंबाबाई की स्वर्ण मूर्ति स्थापित है। यह एक छोटा, चौकोर कमरा है, जो मंदिर के केंद्र में स्थित है।
गर्भगृह का द्वार चांदी से बना है और कलाकृतियों से सजाया गया है।

2. शिखर: मंदिर का शिखर काफी ऊँचा और सोने से मढ़ा हुआ है। यह शिखर द्रविड़ शैली का है और इसमें कई स्तर हैं। शिखर पर कई कलाकृतियाँ और मूर्तियाँ हैं, जो हिंदू धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं को दर्शाती हैं।

3. मंडप: मंदिर में कई मंडप हैं, जिनमें महामंडप, रंगमंडप, और नृत्यमंडप प्रमुख हैं। ये मंडप स्तंभों पर आधारित हैं और कलाकृतियों से सजाए गए हैं। इन मंडपों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों के लिए किया जाता है।

4. कलाकृतियाँ: मंदिर की दीवारों पर कई कलाकृतियाँ हैं, जो हिंदू धर्म की विभिन्न कहानियों को दर्शाती हैं। इन कलाकृतियों में पत्थर, धातु और लकड़ी की मूर्तियाँ, चित्र और नक्काशी शामिल हैं। ये कलाकृतियाँ मंदिर को एक विशेष भव्यता प्रदान करती हैं।

महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर का वास्तुकला और डिजाइन कला और धर्म का एक अद्भुत मिश्रण है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्व के लिए, बल्कि अपनी कलात्मकता और भव्यता के लिए भी जाना जाता है।

आखिर क्यों लक्ष्मी को महालक्ष्मी कहा जाता है।

कोल्हापुर का लक्ष्मी मंदिर को "महालक्ष्मी मंदिर" कहा जाता है । क्योंकि यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है और हिंदू धर्म में धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी के लिए एक प्रमुख स्थल है। महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। इन सरस्वती का विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो पुत्री सरस्वती है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ है। इससे यह पता चलता है कि महालक्ष्मीजी, विष्णु पत्नी लक्ष्मी जी से भिन्न हैं।

महालक्ष्मी मुख्य देवता के रूप में किसकी पूजा की जाती है।

कोल्हापुर की भव्य महालक्ष्मी मंदिर में देवी महालक्ष्मी, जिन्हें अक्सर अंबाबाई के नाम से जाना जाता है, मुख्य देवता हैं। धन, समृद्धि, सौभाग्य और ज्ञान की देवी के रूप में पूजनीय, महालक्ष्मी को कमल के फूल पर विराजमान, शंख और चक्र धारण किए हुए और स्वर्णिम सिक्कों की वर्षा करती हुई दर्शाया जाता है।

महालक्ष्मी को समर्पित इस मंदिर में उनकी शक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। उनकी कृपा से धन-धान्य, सफलता और जीवन में खुशहाली आने की मान्यता है।


मंदिर में पूजे जाने वाले अन्य देवता


कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में देवी महालक्ष्मी मुख्य देवता हैं, जिनके साथ कई अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख देवता निम्नलिखित हैं:

1. भगवान विष्णु: देवी महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं, इसलिए उनके मंदिर में भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। उन्हें मोक्षदेव के नाम से जाना जाता है।
2. महालक्ष्मी के अवतार: मंदिर परिसर में देवी महालक्ष्मी के विभिन्न अवतारों की भी पूजा की जाती है, जिनमें कनकदुर्गा, महालक्ष्मी, तुल्जाभवानी, भवानी और सप्तश्रृंगी शामिल हैं।
3. गणेश: भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, मंदिर में प्रवेश द्वार पर विराजमान हैं। भक्तों का मानना है कि देवी महालक्ष्मी का दर्शन करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करना आवश्यक है।
4. कार्तिकेय: भगवान कार्तिकेय, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, मंदिर में मयूरेश्वर के नाम से जाने जाते हैं। उन्हें देवी महालक्ष्मी का पुत्र भी माना जाता है।
5. अन्य देवता: मंदिर में शिव, राम, सीता, हनुमान, सरस्वती, दुर्गा, काली और नंदी सहित अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार

महालक्ष्मी मंदिर में साल भर कई प्रमुख त्योहारों को धूमधाम से मनाता है। सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है दीपावली, जो माँ लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। नवरात्रि के नौ दिनों में भी विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसके अलावा, होली, गणेश चतुर्थी, राम नवमी, और जन्माष्टमी जैसे लोकप्रिय त्योहार भी श्रद्धाभाव से मनाए जाते हैं। यहाँ शिवरात्रि, हनुमान जयंती, गुरु पूर्णिमा और रक्षाबंधन जैसे अन्य त्योहार भी पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

त्यौहारों के दौरान अनोखे रीति-रिवाज और परंपराएँ

नवरात्रि उत्सव में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। पिछले 20 वर्षों से लगभग 15,000 स्कूली बच्चे श्री सूक्तम (वैदिक भजन) या अथर्वशीर्ष (उपनिषदिक ग्रंथ) के जाप जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं। मंदिर कन्या पूजन के दौरान छात्राओं को उपहार (स्कूल की सामग्री) और प्रसाद देता है। ब्रह्मा उत्सव के दौरान किए जाने वाले 108 कलश अभिषेक में भगवान विष्णु, महालक्ष्मी माता, महाकाली माता और महासरस्वती माता को विभिन्न प्रकार के फलों के रस, गन्ने का रस, केसर का दूध और पंचामृत (दूध, शहद, चीनी, दही और घी) चढ़ाया जाता है। वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला उत्सव अक्षय तृतीया के रूप में जाना जाता है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर तीनों देवियों की मूर्तियों को मोगरा या अरबी चमेली से सजाया जाता है। मंदिर अन्य छुट्टियों पर भजन सत्र आयोजित करता है, जैसे कोजागिरी पूर्णिमा, जो हिंदू महीने अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है। मंदिर अन्नकूट उत्सव के उपलक्ष्य में देवताओं और अनुयायियों को लगभग 56 विभिन्न प्रकार के शाकाहारी भोजन या "भोग" भी परोसता है। भक्त गोवर्धन पूजा के दौरान देवताओं को भोजन का एक पहाड़ चढ़ाते हैं, जो गोवर्धन पहाड़ी का प्रतीक है।

पर्यटकों के लिए आस-पास के आकर्षण और दर्शनीय स्थल

महालक्ष्मी मंदिर के आसपास कई अन्य आकर्षण और दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों के लिए रुचि के हो सकते हैं। इनमें से कुछ स्थानों में शामिल हैं:

ज्योतिबा मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह कोल्हापुर शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
रांकला लेक : यह झील कोल्हापुर शहर के केंद्र में स्थित है और यह नौका विहार और पिकनिक के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
पन्हाला किलर : यह किला 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह कोल्हापुर शहर के पास स्थित है। यह किला अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
दाजीपुर वन्यजीव अभयारण्य: यह अभयारण्य कोल्हापुर शहर के पास स्थित है और यह बाघों, हाथियों और अन्य वन्यजीवों का घर है।
कस्बा गणपति : यह गणपति की मूर्ति कोल्हापुर शहर में स्थित है और यह अपनी विशालकाय आकृति के लिए जानी जाती है।

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