Champa Sasthi 2023: Subh Tithi Muhurat, Mahatva, Puja Vidhi, Katha, शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा

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चम्पा षष्ठी: भगवान मल्हार के लिए भक्ति का आलंब।

भगवान मल्हार को समर्पित एक त्योहार जिसे भारत के कई इलाक़ों में मनाया जाता हैं । चम्पा षष्ठी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता हैं। अमावस्या से लेकर छह दिन तक यह त्योहार नवरात्रि की तरह मनाया जाता हैं। भक्त इस दिन व्रत रखकर और पूजा अर्चना करके यह त्योहार मनाते हैं। यह मूलतः उड़ीसा और दक्षिणी राज्यों में मनाया जाने वाला पर्व हैं। 


चम्पा षष्ठी की मान्यताएँ

इस त्योहार में भगवान कार्तिकेय को चम्पा का फूल तथा बैंगन अर्पित किया जाता हैं इसलिए इसे बैंगन छठ भी कहा जाता हैं। चम्पा षष्ठी दो शब्दों से मिलकर बना है- चम्पा और षष्ठी। इस दिन चम्पा का फूल भगवान कार्तिकेय को चढ़ाया जाता हैं इसलिए इसे चम्पा षष्ठी कहा जाता हैं।
इस दिन भगवान शिव के खंडोबा रूप का पूजन किया जाता हैं, जिन्हें किसानों का देवता भी माना जाता हैं। इनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। उनकी मूर्ति पर हल्दी से श्रंगार के पश्चात हवन किया जाता हैं और विशाल भंडारा वितरण किया जाता हैं। भंडारे में मुख्यतः बैंगन, पूरन पोली और विभिन्न व्यंजनों का वितरण किया जाता हैं।

चम्पा षष्ठी का महत्व

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं। जिस भी व्यक्ति को अपनी कुंडली में मंगल के शुभ परिणाम चाहिए वो भगवान कार्तिकेय का व्रत व पूजन करें। अन्य मान्यताओं के अनुसार कार्तिकेय अपने छोटे भाई गणेश से रुठकर क्रौंचपर्वत पर आ गए थे । उस दिन चम्पा षष्ठी का ही दिन था। कोमल ह्रदय वाली देवी पार्वती भगवान शिव के साथ वहाँ पहुँचीं तब भगवान कार्तिकेय और ऊँची चोटी पर चलें गए तभी वहाँ एक शिवलिंग प्रकट हुआ जिसका नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग हुआ। जिसमें मल्लिका का अर्थ माता पार्वती और अर्जुन का अर्थ भगवान शिव। 


चम्पा षष्ठी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 17 दिसंबर 2023 को शाम 05 बजकर 33 मिनट पर इसका आरंभ होगा। 18 दिसंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर इसका समापन होगा ।
अमृत मुहूर्त - सुबह 07.07 - सुबह 08.25 तक
शुभ मुहूर्त - सुबह 09.42 - सुबह 11.00 तक

कथा

जब पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी 'सती' कूदकर भस्म हो गईं, तब शिवजी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए। उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो जाती है। इस मौके का फायदा दैत्य उठाते हैं और धरती पर तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैल जाता है। देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। तब ब्रह्माजी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा।

इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शंकर 'पार्वती' के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिवजी और पार्वती का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है। कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है।

एक कथा के अनुसार मल्ल और मणि नाम के दो राक्षस भाई हुआ करते थे। दोनों राक्षसों द्वारा संतों, देवताओं एवं जन-मानस के जीवन में अत्यधिक उत्पात मचाया गया था।
राक्षसों के आतंक से तंग आकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुँचे लेकिन भगवान विष्णु ने उनकी मदद के लिए ब्रह्मा जी के पास जाने को कहा। फिर, सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए, ब्रह्मा जी ने भी उनकी मदद करने से इनकार कर दिया।

सभी देवता भगवान शिव की ओर बढ़े और उन्हें सब कुछ बताया। तब, भगवान शिव ने राक्षसों को मारने के लिए खुद को विशाल योद्धा के रूप में खंडोबा अवतार लिया। यह योद्धा सोने और सूरज की तरह चमकता हुआ दिखाई देते थे।

इस योद्धा का चेहरा हल्दी से ढका हुआ था। इसके बाद भगवान शिव दोनों राक्षसों से युद्ध करने चले गए। जब मणि की मृत्यु होने वाली थी, तो उन्होंने खंडोबा को अपना सफेद घोड़ा दिया और अपने पूर्व कर्मों के लिए क्षमा मांगी, तथा वरदान माँगा कि जहाँ भगवान शिव की पूजा की जाती है, वहाँ उनके चरणों में उनकी भी उपस्थिति हो।


आप भी करें बुकिंग उत्सव एप के साथ

हल्दी उत्सव के लिए प्रसिद्ध खंडोबा मंदिर 100 सीढ़ियों की चढ़ाई वाली एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के प्रांगण में स्थित दीपमाला यहाँ का सबसे मनमोहक दृश्य माना जाता है। हल्दी उत्सव से पहले यहाँ खंडोबा भगवान की शोभायात्रा भी निकाली जाती है। 

अगर आप भी इस त्योहार का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आज ही उत्सव एप के साथ आपके और आपके परिवार के लिए पूजा बुक करें। आप सब को चम्पा षष्ठी की शुभकामनाएँ।


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