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श्री हनुमान चालीसा / Shri Hanuman Chalisa

शुक्र - 12 अप्रैल 2024

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हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक श्रद्धेय भक्ति भजन है। 16वीं शताब्दी में प्रसिद्ध संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित, हनुमान चालीसा भक्ति साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति है जो भगवान हनुमान के दिव्य गुणों का जश्न मनाती है। इस पवित्र भजन में चालीस छंद शामिल हैं, जो अवधी भाषा में लिखे गए हैं, जिसमें भगवान हनुमान की महिमा और महानता का गुणगान किया गया है। प्रत्येक श्लोक भक्ति, ज्ञान और गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि से भरपूर है, जो हनुमान चालीसा को पीढ़ियों से भक्तों के लिए एक कालातीत खजाना बनाता है।

श्री हनुमान चालीसा / Shri Hanuman Chalisa - Utsav App

चालीसा

॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउं रघुबर विमल जसु,जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिकै,सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुवेसा।कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै।काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरीनन्दन।तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा।विकट रुप धरि लंक जरावा॥
भीम रुप धरि असुर संहारे।रामचन्द्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिकपाल जहां ते।कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना।लंकेश्वर भये सब जग जाना॥
जुग सहस्र योजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फ़ल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।असुर निकन्दन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाई।कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित,ह्रदय बसहु सुर भूप॥

लाभ

1. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: दैवीय सुरक्षा का अनुभव करें और हनुमान चालीसा की शक्तिशाली छंदों से खुद को नकारात्मक प्रभावों से बचाएं।
2. बाधाओं पर काबू पाएं: बाधाओं को दूर करने और सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भगवान हनुमान के आशीर्वाद का आह्वान करते हुए जीवन में बाधाओं और चुनौतियों को तोड़ें।
3. स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ाएं: शारीरिक कल्याण और मानसिक सद्भाव को बढ़ावा देने, संतुलित और जीवंत जीवन को बढ़ावा देने के लिए हनुमान चालीसा के उपचारात्मक स्पंदनों का उपयोग करें।
4. भक्ति और भक्ति को गहरा करें: भगवान हनुमान के साथ अपने संबंध को मजबूत करें और हनुमान चालीसा के हार्दिक पाठ के माध्यम से अपनी भक्ति को गहरा करें, आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति को बढ़ावा दें।
5. साहस और शक्ति विकसित करें: हनुमान की स्तुति करते हुए उनके अदम्य साहस और शक्ति से अपनी आत्मा को प्रेरित करें, जिससे आप आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को सशक्त बना सकें।
6. इच्छाओं और इच्छाओं को पूरा करें: अपनी हार्दिक इच्छाओं और आकांक्षाओं को प्रकट करने के लिए हनुमान चालीसा की दिव्य ऊर्जा का लाभ उठाएं, जिससे आपके जीवन में प्रचुरता, समृद्धि और पूर्णता का आगमन हो सके।
7. मन और आत्मा को शुद्ध करें: हनुमान चालीसा के पवित्र छंदों में खुद को डुबोते हुए अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करें, नकारात्मकता को दूर करें और आंतरिक शुद्धता और शांति को अपनाएं।

कब और कैसे जप करे?

हालाँकि आप दिन के किसी भी समय हनुमान चालीसा का जाप कर सकते हैं, लेकिन कई भक्त सुबह या शाम को ऐसा करना पसंद करते हैं। सुबह का समय, जिसे "ब्रह्म मुहूर्त" के रूप में जाना जाता है, और सूर्यास्त के आसपास शाम का समय आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

1. हनुमान की उपस्थिति का आह्वान करें: जप शुरू करने से पहले, आप भगवान हनुमान की पूजा कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद ले सकते हैं। आप उनके नाम का तीन बार जाप करके या "ओम श्री हनुमते नमः" जैसी सरल प्रार्थना पढ़कर ऐसा कर सकते हैं।
2. भक्तिभाव से करें जाप: हनुमान चालीसा का जाप ईमानदारी और भक्तिभाव से शुरू करें। आप अपनी पसंद के आधार पर इसे जोर से या चुपचाप पढ़ सकते हैं। प्रत्येक श्लोक पर ध्यान केंद्रित करें और भजन के दिव्य स्पंदनों में खुद को डुबो दें।