हिं
हिंEn
होमपूजाभेंटपंचांगराशिफलज्ञान
App Store
Play Store

ऐप डाउनलोड करें

पुण्य धाम, चार धाम: एक आध्यात्मिक सफर,हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धाम यात्रा का क्या महत्व

शुक्र - 22 मार्च 2024

6 मिनट पढ़ें

शेयर करें

हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हर हिंदू को अपने जीवन में कम से कम एक बार इन चार धामों की यात्रा जरूर करनी चाहिए। इन धामों की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। चार धाम सदियों से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। चाहे आप एक धार्मिक व्यक्ति हों या प्रकृति प्रेमी, यह यात्रा आपके जीवन में ऐसी यादें जोड़ देती है जो आप कभी भुला नहीं सकते। आइए जानते हैं चार धाम यात्रा क्या है और किस प्रकार चार धाम की यात्रा हो सकती हैं।

विषय सूची

1.चार धाम यात्रा क्या होती है?
2.चार धाम की स्थापना किसने की?
3.हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धाम यात्रा का क्या महत्व है?
4.चार धाम यात्रा में लोकप्रिय पर्यटन स्थल
5.चार धाम में पहला धाम कौन सा है?
6.चार धाम यात्रा पर जाने का सबसे अच्छा समय
7.छोटा चार धाम क्या है और इसे क्यों बनाया गया 

चार धाम यात्रा क्या होती है

हिंदू धर्म में, चार धाम यात्रा एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा है जो चार पवित्र स्थानों की यात्रा को शामिल करती है।
भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में की गई है।

बद्रीनाथ (उत्तराखंड) - भारत के प्रसिद्ध चार धामों में बदरीनाथ सुप्रसिद्ध है। बद्रीनाथ धाम ऎसा धार्मिक स्थल है, जहां नर और नारायण दोनों मिलते है। धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इसे विशालपुरी भी कहा जाता है और बद्रीनाथ धाम में श्री विष्णु की पूजा होती है।

द्वारका (गुजरात) - यह नगरी भारत के पश्चिम में समुन्द्र के किनारे पर बसी है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, भगवान कॄष्ण ने इसे बसाया था। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है। द्वारका भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक है।

जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) - यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान है।

रामेश्वरम (तमिलनाडू) - रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

चार धाम की स्थापना किसने की?

चार धाम की स्थापना अलग-अलग समय में अलग-अलग राजाओं और संतों द्वारा की गई थी।

बद्रीनाथ:आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में बद्रीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य के गुरु, गौड़पादाचार्य ने 7वीं शताब्दी में करवाया था।
द्वारका:पौराणिक काल में आर्यों द्वारा सौराष्ट्र में द्वारका को राजधानी के रूप में स्थापित किया गया था। जब यह शहर "कौशथली" के नाम से जाना जाता था, तब मथुरा से स्थानांतरित होकर आए यादवों ने यहां अपना राज्य स्थापित किया था। इसी अवधि के दौरान शहर का पुनर्निर्माण हुआ और इसका नाम द्वारका रखा गया।
जगन्नाथ पुरी:ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी ईस्वी में पूर्वी गंगा राजवंश के शासक अनंतवर्मन चोदगंग देव ने की थी।
रामेश्वरम:रामेश्वरम मंदिर की स्थापना त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने की थी। इस मंदिर में जो ताम्रपट है, उससे पता चलता है कि 1173 ईस्वी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण किया था।

हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धाम यात्रा का क्या महत्व है?

चार धाम यात्रा स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। यह यात्रा रोजगार के अवसर प्रदान करती है और पर्यटन को बढ़ावा देती है।यात्रा के दौरान, लोग सामाजिक कार्यों में भी भाग लेते हैं, जैसे कि दान और सेवा।
हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धाम यात्रा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है।

धार्मिक महत्व:

हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धाम यात्रा को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इस यात्रा को करने से मान्यता है कि व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मुक्ति मिलती है। चार धाम यात्रा करने वाले व्यक्ति को भगवान के आशीर्वाद से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इस यात्रा का महत्व उसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्धि और उच्चता प्रदान करने में है। चार धाम यात्रा करने से व्यक्ति को आत्मा की शुद्धि और आनंद मिलता है।

सांस्कृतिक महत्व:

चार धाम यात्रा भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है।यह यात्रा विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करती है और भाईचारे को बढ़ावा देती है।यात्रा के दौरान, लोग विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का अनुभव करते हैं।


चार धाम यात्रा में लोकप्रिय पर्यटन स्थल

बद्रीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित है, और यह चार धामों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, और यह ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। 

चार धाम में पहला धाम

बद्रीनाथ को पहला धाम इसलिए माना जाता है क्योंकि यह स्थल कलियुग में "बद्रीकाश्रम" या "बद्रीनाथ" के नाम से जाना जाता है, और इसमें भगवान विष्णु की मूर्ति विश्राम मुद्रा में स्थित है। इस स्थल को प्राचीन ग्रंथो में मुख्य स्थान दिया गया है और यहां के दर्शन करने का महत्व काफी है।

चार धाम यात्रा पर जाने का सबसे अच्छा समय

चार धाम यात्रा की यात्रा मई और जून और सितंबर और अक्टूबर में बहुत ही सुखद होती है। इन महीनों के दौरान अच्छा मौसम रहता है, तापमान 5 डिग्री सेल्सियस और 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। पूरे मानसून के मौसम और सर्दी में तेज बारिश और कड़ाके की ठंड के कारण आमतौर पर इस दौरान यात्रा करने की सलाह नहीं दी जाती है।

छोटा चार धाम

 एक प्रश्न जो हर भक्त के मन में हमेशा रहता है: यदि बड़े चार धाम बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम और द्वारका हैं तो गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ का महत्व क्या था? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि कुछ भक्तों के लिए भारत की चारों दिशाओं में स्थित मंदिर के दर्शन करना काफी कठिन था। इसीलिए छोटा चार धाम चार पवित्र स्थान हैं जो आपको बड़े चार धाम के समान ही फल देते हैं।

केदारनाथ- केदारनाथ मंदिर हिमालय की गढ़वाल श्रृंखला पर है। इसके पास ही मन्दाकिनी नदी बहती है। यहां स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

गंगोत्री – गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह ग्रेटर हिमालय पर्वत श्रृंखला पर लगभग 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तराखंड में स्थित छोटा चार धामों में से एक है। यहीं से भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा नदी का उद्गम होता है अर्थात यहीं से गंगा नदी का उद्गम होता है। ऐसा माना जाता है कि जब शिव ने शक्तिशाली नदी गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त किया, तो गंगा नदी अवतरित हुई। हर साल मई से अक्टूबर के बीच यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं। कार्तिक माह में यम द्वितीया तिथि के दिन यह दरवाजा बंद कर दिया जाता है।

यमुनोत्री- यमुनोत्री धाम उत्तराखंड में स्थित छोटे चार धामों में से एक है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमालय की गढ़वाल श्रृंखला में 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहीं से यमुना नदी का उद्गम होता है। यहां स्थित मां यमुना का मंदिर आकर्षण का केंद्र है। गंगोत्री की तरह इस मंदिर के कपाट वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को खुलते हैं और कार्तिक माह की यम द्वितीया तिथि को बंद होते हैं |

शेयर करें

🪔

गणेश जी को पूजा अर्पित करें

🪔
Benefit Header Image

Puja to get Job, Money & Relief from Life Blocks

Trimbakeshwar Jyotirlinga Visesh Ganga Jal & Belpatra Arpan Puja

Trimbakeshwar Tirtha Kshetra, Trimbakeshwar

सोम - 08 सित॰ 2025 - Somvar Visesh

8.2k+ भक्त