भगवान शिव के सात पुत्रो की उत्पत्ति : Bhagwan Shiv ke saat putro ki utpatti
गुरु - 18 अप्रैल 2024
5 मिनट पढ़ें
शेयर करें
हम में से ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि भगवान शिव के दो पुत्र है - 1. कार्तिकेय 2. गणेश। हिंदू पुराणों में भगवान शिव के 5 पुत्रो के बारे में बताया गया है। एक प्रसिद्ध कथा में जब भगवान शिव के पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी में विवाह के लिए विवाद होता है तब भी भगवान शिव के दो ही पुत्रो का उल्लेख किया गया है । परन्तु क्या आप जानते है कि भगवान शिव के सात पुत्र थे । तो आइए जानते हैं भगवान शिव के सात पुत्रो के बारे में

1. कार्तिकेय
कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, सुब्रह्मण्य, षण्मुख और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिकेय को हिंदू धर्म में युद्ध के देवता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस तारकासुर को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । भगवान शिव और पार्वती का विवाह बहुत समय तक चला, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं हुई। देवता चिंतित थे कि बिना पुत्र के भगवान शिव राक्षस तारकासुर को हरा नहीं पाएंगे। उन्होंने भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना और तपस्या शुरू कर दी। कई वर्षों के बाद, भगवान शिव और पार्वती को आखिरकार एक पुत्र हुआ, जो छह अलग-अलग अप्सराओं के छह अलग-अलग भ्रूणों से पैदा हुआ था। इन छह भ्रूणों को फिर एक नदी में रखा गया, जहाँ देवी गंगा ने उनकी देखभाल की। बाद में, छह भ्रूण एक में विलीन हो गए, और कार्तिकेय का जन्म हुआ।
कार्तिकेय जी को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मुरुगन, सुब्रह्मण्य और स्कंद जैसे विभिन्न नामों से पूजा जाता है। कार्तिकेय अपनी सुंदरता, शक्ति और दिव्य गुणों के लिए पूजनीय हैं। उन्हें देवसेना और वल्ली से विवाह के लिए भी जाना जाता है।
2. गणेश

बुद्धि और ज्ञान के देवता भगवान गणेश हाथी के सिर और मानव शरीर के साथ अपने अनोखे स्वरूप के लिए जाने जाते हैं। गणेश जी को किसी भी शुभ कार्य करने से पहले पुजा जाता है । पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने स्नान करते समय अपनी रक्षा के लिए हल्दी के लेप से गणेश की रचना की थी। पार्वती जी ने हल्दी के लेप से एक मानव आकृति बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए, जिससे एक लड़के को जन्म दिया। उसने उसका नाम गणेश रखा और उसे मुख्य द्वारों की रक्षा करने के लिए कहा, जब भगवान शिव वापस लौटे, तो गणेश ने उन्हें रोक दिया, जिससे टकराव हुआ और शिव ने गणेश का सिर काट दिया। पार्वती हताश हो गईं, लेकिन शिव ने उन्हें वापस जीवित करने का वादा किया। नंदी एक हाथी का सिर लेकर आए, जिसे शिव ने गणेश के शरीर पर रखा, जिससे वे फिर से जीवित हो गए। देवताओं ने गणेश को आशीर्वाद दिया, उन्हें अपना पुत्र माना और उनका नाम "गणेश" या "गणपति" रखा।
3. सुकेश

हिन्दू पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती के तीसरे पुत्र का नाम सुकेश था। पुराणों के मुताबिक, सुकेश को उनके माता-पिता ने त्याग दिया था। सुकेश ही एक ऐसे राक्षस हैं जिन्हें स्वयं महादेव और माता पार्वती का पुत्र होने का गौरव प्राप्त है।
4. अयप्पा
भगवान अयप्पा का जन्म इतिहास हिंदू पौराणिक कथाओं में एक अनोखी और पूजनीय कथा है। अयप्पा को भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का पुत्र माना जाता है। किंवदंती बताती है कि मोहिनी, विष्णु के अवतार, शिव द्वारा गर्भवती हुई थी, जिसके कारण अयप्पा का जन्म हुआ। राजा राजशेखर ने अयप्पा को अपने बेटे के रूप में अपनाया। अयप्पा के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना तब हुई जब उन्होंने राक्षसी महिषी का सामना किया और उसे पराजित किया, जिससे उनका दिव्य स्वभाव प्रदर्शित हुआ। इस जीत के कारण राजा ने उनकी विशेष क्षमताओं और दिव्य उत्पत्ति को पहचाना, जिसके बाद उन्होंने उनके लिए एक मंदिर बनाने का फैसला किया। अय्यप्पन को एक ब्रह्मचारी युवक, एक योद्धा देवता के रूप दिखाया गया है, जिन्हें अक्सर बंगाल टाइगर की सवारी करते और धनुष-बाण पकड़े हुए दिखाया जाता है। अयप्पा की पूजा में कठोर धार्मिक प्रथाएँ शामिल हैं, जिसमें केरल के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सबरीमाला में मंदिर जाने से पहले 41 दिनों की तपस्या भी शामिल है, जहाँ हर साल लाखों भक्त आते हैं।
5. जालंधर
शिव पुत्र जालंधर, जिसे चलंतराणा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव की तीसरी आँख से निकले क्रोध से पैदा हुआ एक असुर था। जब इंद्र के वज्र से घायल होने के बाद शिव ने क्रोध में अपनी तीसरी आँख खोली, तो उनकी आंख से निकली ऊर्जा समुंद्र से मिलकर एक बालक का रूप ले लिया।
जालंधर का पालन-पोषण वरुण और बाद में शुक्राचार्य ने किया। बड़ा होकर, जालंधर एक शक्तिशाली राक्षस बन गया जिसने तीनों लोकों - स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल पर विजय प्राप्त की। उसने कालनेमि की पुत्री वृंदा से विवाह किया। अपनी ताकत के बावजूद, जालंधर को उसके निर्माता शिव के हाथों मृत्यु का सामना करना पड़ा। जालंधर का यह जन्म इतिहास हिंदू पौराणिक कथाओं में एक दुर्जेय व्यक्ति के रूप में उसकी उत्पत्ति को दर्शाता है, जो दैवीय हस्तक्षेप के कारण शक्ति में उसके उदय और अंततः पतन से चिह्नित है।
6. भौमा

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के पुत्र भौमा का जन्म बहुत ही रोचक है जब भगवान शिव के अग्रभाग से पसीने की कुछ बूंदें धरती पर गिरी, इन बूंदों से चार भुजाओं और लाल त्वचा वाले एक सुंदर बच्चे का जन्म हुआ, जिसने धरती का पालन-पोषण किया। भौमा का जन्म अनोखा है क्योंकि वह सीधे धरती से पैदा हुआ था, इसलिए उसका नाम भौमा पड़ा। उनकी उत्पत्ति की कहानी भगवान शिव के वंश की रहस्यमय और दिव्य प्रकृति को उजागर करती है, जो देवताओं और प्रकृति के तत्वों के बीच गहरे संबंधों को दर्शाती है।
7. अंधक
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंधक भगवान शिव और देवी पार्वती का पुत्र है। अंधक नाम का अर्थ है "अंधा"। एक बार मंदार पर्वत पर ध्यान करते समय देवी पार्वती ने शिव जी की आंखे अपने हाथों से बंद कर दीं। जिससे कारण दुनिया में अंधेरा छा गया। फिर शिव ने अपनी तीसरी आँख खोली, और उनकी आँख की तीव्र गर्मी और पसीने से अंधक का जन्म हुआ। पार्वती ने अपने बेटे का नाम भी अंधक रखा क्योंकि वह अंधकार में पैदा हुआ था।
भगवान शिव के सभी पुत्र कार्तिकेय, गणेश, सुकेश, अयप्पा, जालंधर, भौमा और अंधक प्रत्येक पुत्र की अपनी अनोखी उत्पत्ति और कहानी है ये अनोखी कहानियां भगवान शिव के अलग-अलग पद और शक्तियों को बताता है।
भगवान शिव के सात पुत्र हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन पुत्रों की कहानियाँ हमें जीवन के विभिन्न सिद्धांतों के बारे में सिखाती हैं, जैसे कि कर्तव्य, त्याग, साहस और भक्ति।
शेयर करें
गणेश जी को पूजा अर्पित करें
🪔
Puja for Good Health & Long Life
1,25,000 Maha Mrityunjay Jaap & Rudra Abhishek Puja
Mrityunjay Mahadev, Varanasi
सोम - 08 सित॰ 2025 - Somvar Visesh
7.3k+ भक्त