धनतेरस 2023 | Dhanteras 2023 | Date | पूजा विधि | इतिहास | धनतेरस पूजा
मंगल - 07 नव॰ 2023
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धनतेरस, एक महत्वपूर्ण पर्व है जो दीपावली के पहले दिन मनाया जाता है। यह पर्व भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और धन, संपत्ति, और सफलता की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
धनतेरस का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है - "धन" जो धन और संपत्ति को और "तेरस" जो त्रयोदशी का अर्थ होता है, जिसका मतलब होता है कि यह पर्व चौदहवें दिन को मनाया जाता है।
इस दिन, लोग अपने घरों को सजाते हैं और धन्य और धनपुष्टि के प्रतीक के रूप में सोना, चांदी, या सोने के आभूषण खरीदते हैं। कई लोग नए वाहनों या मुख्य धन प्राप्ति के लिए नए व्यापार शुरू करने का भी विचार करते हैं।
2023 में धनतेरस मनाने का शुभ समय 10 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे से शुरू होकर 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे समाप्त होगा। इसलिए, धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा। धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 05:47 बजे से शाम 07:43 बजे तक है।
इस दिन, गणेश और लक्ष्मी देवताओं की पूजा की जाती है और लक्ष्मी पूजा के बाद घर के सभी कोनों को दीपों से प्रकाशित किया जाता है, जिसका मतलब होता है कि घर में प्रकाश की ओर अधिक ध्यान देने की ओर संकेत है।
धनतेरस का महत्व है क्योंकि यह धन, संपत्ति, और सफलता की प्राप्ति के लिए एक शुभ आरंभ होता है और लोग इस दिन अपने व्यापार और निवेश के साथ अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करते हैं।
धनतेरस की पूजा विधि
1. पूजा स्थल को साफ़ करें और उसे सुखद आसन पर रखें।
2. पूजा स्थल पर गोदेवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ रखें।
3. अपने हाथों को धोकर, शुद्ध मन से बैठें और ध्यान करें।
4. ध्यान के बाद, गणेश जी की पूजा करें ।
5. भगवान गणेश की आरती करें ।
6. फूल और अक्षत गणेश मूर्ति को चढ़ाएं ।
7. मन्त्र "ॐ गं गणपतये नमः" का जप करें ।
8. अब, गोदेवी लक्ष्मी की पूजा करें ।
9. माता लक्ष्मी की आरती करें ।
10. फूल और अक्षत माता लक्ष्मी को चढ़ाएं ।
11. मन्त्र "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" का जप करें ।
12. धूप और दीपक जलाएं।
13. पूजा की थाली में सिक्के और आभूषण रखें और इसे गोदेवी लक्ष्मी की पूजा के दौरान उपहार के रूप में प्रदान करें ।
14. पूजा के बाद, आरती करें और ध्यान से पूजा समाप्त करें ।
15. धनतेरस के इस पूजा विधि के माध्यम से आप धन, संपत्ति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए गोदेवी लक्ष्मी और गणेश की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।
यह एक मान्यता है कि इस दिन धनतेरस की पूजा करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
धनतेरस पूजा सामग्री:
1. गोदेवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ
2. अपने पूजा स्थल के लिए साफ़ और सुखद आसन
3. दीपक और घी
4. आरती की थाली
5. अक्षत [चावल ]
6. रुपये के सिक्के
7. सुवर्ण या चांदी के आभूषण
8. पूजा के लिए फूल, पुष्प माला, और धूप
धनतेरस का महत्त्व
धनतेरस के दिन, भक्त गोदेवी लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। लक्ष्मी देवी धन और समृद्धि की देवी मानी जाती है, और इस दिन के पूजा रितुअल्स के माध्यम से वे अपनी श्रेष्ठ आशीर्वादों की अनुपस्थिति को आकर्षित करने की कोशिश की जाती है।
इस तरह, धनतेरस एक महत्वपूर्ण पर्व है जो समृद्धि, शुभकामनाएं, और धन की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है और लोग इस दिन अपने जीवन में आर्थिक और सामाजिक सफलता पाने का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं।
धनतेरस के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें लकड़ी, वस्त्र, और बर्तन आदि के खरीददारी करने का अच्छा मुहूर्त मानते हैं। धनतेरस का महत्व यह है कि इस दिन किसी भी तरह के वित्ती लेन-देन में शुभ अरंभ किया जाता है, और यह वित्ती संचयन और समृद्धि के लिए अच्छा संकेत माना जाता है।
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
जैन आगम में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
धनतेरस का इतिहास
धनतेरस के साथ एक सबसे प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है, जिसमें समुद्र मंथन या समुद्र की तलाश में उभरने वाले महत्वपूर्ण काम की बात की गई है। इस कथा के अनुसार, देवताओं और आसुरों ने मंथन किया था, ताकि अमृत (अविनाशी अमृत) प्राप्त किया जा सके। इस मंथन के दौरान, धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुई थी। इसी कारण धनतेरस को ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन और समृद्धि के लिए उनकी आशीर्वादों को पुकारने का समय है।
धनतेरस का और एक महत्वपूर्ण पहलू भगवान धन्वंतरि की पूजा है, जो देवताओं के वैद्य और आयुर्वेद (प्राचीन चिकित्सा तंत्र) के पिता माने जाते हैं। भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से लोग अच्छे स्वास्थ्य और भलाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की आशा करते हैं।
धनतेरस के साथ एक और कथा जुड़ी हुई है जो मृत्यु के देवता यम से संबंधित है। कहा जाता है कि इस दिन, यम जी को तेल से भरी हुई मण्डी में गिरकर बंद कर दिया गया था। उन्हें अगले दिन ही छोड़ दिया गया। इस घटना के स्मरण के लिए लोग तेल के दिए जलाते हैं और बुराई भावनाओं को दूर करने और समृद्धि को स्वागत करने के लिए रातभर जलाते रहते हैं।
धनतेरस का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसका पूजन शताब्दियों से किया जाता आ रहा है। इसका उल्लेख विभिन्न प्राचीन पाठों और ग्रंथों में किया गया है। समय के साथ, यह बड़े दीपावली उत्सव का हिस्सा बन गया है, जिसमें पांच दिन के उत्सव की प्रारंभिक दिन के रूप में कार्य करता है।
धनतेरस भारत में और विश्वभर के हिन्दू समुदायों में बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इसमें घरों की सफाई और सजावट करना, नई चीजें खरीदना, विशेष रूप से धन से संबंधित चीजें, और गोदेवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की स्तुति करना शामिल है। तेल के दिए जलाना, पूजा करना, और समृद्धि और भलाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना इस पुण्य दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
धनतेरस विशेष पूजा
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🌻 महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
🌻 लक्ष्मी नारायण मंदिर, झाँसी
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥🕉🙏🏻
देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे और आपके जीवन में समृद्धि आए।
आपको आनंदमय और समृद्ध धनतेरस की शुभकामनाएं!✨
हम आशा करते है की यह धनतेरस आपके और आपके सम्पूर्ण परिवार की खुशहाली, धन और अच्छा स्वस्थ लेकर आय | शुभ धनतेरस 🙏
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