श्री भैरव आरती
शुक्र - 03 मई 2024
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भैरव आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान भैरव की पूजा के दौरान प्रदर्शित किया जाता है। भगवान भैरव हिन्दू धर्म में शिव के एक स्वरूप के रूप में माने जाते हैं। वे संहारक और पालक भी हैं, और अपने भक्तों की संरक्षा करने के लिए जाने जाते हैं। भैरव आरती के पदों में, भक्त भगवान भैरव की महिमा का गान करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। यह आरती भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है और भक्तों को भगवान भैरव के साथ एक गहरा संबंध महसूस कराती है।
॥ श्री भैरव आरती ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।
मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये।
महिमा तुम्हारी बहुत,कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत,सबके आप ही सरताज हैं॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
हथियार हैं जो आपके,उसका क्या वर्णन करूँ।
माता जी के सामने तुम,नृत्य भी करते सदा॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
गा गा के गुण अनुवाद से,उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी,तारीफ उसकी क्या करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
बहुत सी महिमा तुम्हारी,मेंहदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री,बजरंग का स्थान है॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
श्री प्रेतराज सरकार के,मैं शीश चरणों में धरूँ।
निशदिन तुम्हारे खेल से,माताजी खुश रहें॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर,आशीर्वाद देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ,अरु शीश चरणों में धरूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
लाभ
भैरव आरती के पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
1. **आत्मिक शक्ति का विकास:** भैरव आरती का पाठ करने से आत्मिक शक्ति का विकास होता है और व्यक्ति की आत्मा में ऊर्जा का बढ़ावा होता है।
2. **कष्ट निवारण:** भैरव आरती के पाठ से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं और उसका जीवन सुख-शांति से भर जाता है।
3. **धार्मिक उत्थान:** यह आरती भक्ति और श्रद्धा के साथ की जाती है, जिससे व्यक्ति का धार्मिक उत्थान होता है और उसे दिव्य उच्च संज्ञान की प्राप्ति होती है।
4. **आनंद और शांति:** इस आरती का पाठ करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे आनंद का अनुभव होता है।
5. **आशीर्वाद:** भैरव आरती के पाठ से भगवान के कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जो व्यक्ति को सफलता और सुखी जीवन प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, भैरव आरती का पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक और धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जो उसे उत्तम जीवन की ओर ले जाते हैं।
कब गाना है
भैरव आरती का गाना भगवान भैरव की पूजा के दौरान किया जाता है। यह पूजा हिन्दू पंचांग के अनुसार, मास के किसी भी शुक्ल पक्ष के अष्टमी, अधिकतम अमावस्या, या अन्य विशेष दिनों पर की जा सकती है। इस आरती को साधारणतः श्रद्धालुओं द्वारा भगवान भैरव की पूजा के समय या भगवान भैरव के मंदिरों में गाया जाता है।
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