Meena Sankranti 2024 : स्वर्ग से धरती पर गंगा मैया का अवतरण और मीन संक्रांति पर इसका महत्व
सोम - 11 मार्च 2024
3 मिनट पढ़ें
शेयर करें
आइए जानते हैं कि गंगा नदी धरती पर कैसे आईं और किस प्रकार यह विशेष दिन हिंदुओ के लिए एक पर्व बन गया। क्यों इस दिन को मीन संक्रांति कहा जाता हैं। कैसे मनाते हैं – मीन संक्रांति।
विषय-सूची
1. क्या है मीन संक्रांति
2. गंगा नदी का धरती पर आगमन
3. मीन संक्रांति की तिथि
4. मीन संक्रांति का महत्त्व
5. कैसे मनाएं मीन संक्रांति
6. मीन संक्रांति पर क्या दान करें
7. मीन संक्रांति के दिन सूर्य पूजा में इन मंत्रों का करे उच्चारण

क्या है मीन संक्रांति
मार्च महीने के मध्य में सूर्य का मीन से मेष राशि में गोचर को मीन संक्रांति कहा जाता है। यह दिन आध्यात्मिक जागरण एवं उत्थान और दान-पुण्य के लिए अति उत्तम माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु सूर्य देव की पूजा कर, दान-पुण्य इत्यादि करते हैं। और आने वाले वैदिक नव-वर्ष की तैयारियों भी प्रारम्भ कर देते हैं क्योंकि इस दिन पंचांग के अनुसार हिन्दुओं के विक्रम-सम्वत का आख़िरी महीना शुरू हो जाता है।

गंगा नदी की कहानी
सतयुग में एक राजा भागीरथ थे। वो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए बहुत चिंतित थे। मान्यता-अनुसार मृतक की अस्थियों को पवित्र जल में प्रवाह करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। फिर राजा भागीरथ को पता चला कि उनके पूर्वजों की आत्माओं को गंगा के पवित्र जल से ही मुक्ति मिल सकती है। लेकिन समस्या ये थी कि गंगा तो स्वर्गलोक में बहती थीं, उन्हें धरती पर लाया कैसे जाये? इसके समाधान के लिए उन्होंने कठिन तपस्या करने का प्रण लिया। उनकी तपस्या इतनी कठोर और लंबी चली कि गंगा माई उनकी भक्ति से खुश हो गईं और धरती पर आने का फैसला कर लिया। पर अब भी समस्या हल नहीं हुई क्योंकि गंगा की तेज धारा से पृथ्वी धरातल में जा सकती थी। तब भगवान शिव ने बचाव के लिए गंगा माई को अपनी जटाओं में समा लिया और धीरे-धीरे धरती पर उतारा। और इस तरह गंगा जी के आने से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं पहुँचा और राजा भागीरथ के पूर्वज भी तर गए।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ये वही दिन था जब सूर्य-देव कुम्भ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिये इस दिन को मीन संक्रांति के रुप में मनाया जाता है। यह दिन हमें दुनिया में संतुलन और सद्भाव की महत्वता की याद दिलाता है, इस लिए हमारे आजकल के दौर में तो इसका और भी महत्व है। अनेकों धर्म-भीरु व श्रद्धालु-गण गंगा में स्नान करने के लिए यात्रा करते हैं, उनका मानना है कि गंगा-स्नान से न केवल उनके पापों का नाश होता है बल्कि उनकी मृत्यु के बाद की यात्रा भी सहज हो जाती है।
मीन संक्रांति तिथि (Meena Sankranti tithi)
पंचांग के अनुसार सूर्य भगवान 14 मार्च गुरुवार को मीन-राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसलिए इस दिन मीन-संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा । मीन-संक्रांति के दिन पुण्य-काल दोपहर 12:46 से शाम 06:29 तक रहेगा तथा महा पुण्य-काल दोपहर 12:46 से दोपहर 02:46 के बीच रहेगा।
मीन संक्रांति का महत्व
मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से जीवन में हर तरह की सफलता मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोष भी खत्म हो जाते हैं और सूर्य की कृपा प्राप्त होती है। मीन संक्रांति पर सूर्य भगवान की पूजा करने से धन समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है व इस दिन किये गए दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।

कैसे मनाएं मीन संक्रांति 2024
मीन संक्रांति के दिन की शुरुआत सूर्य-देव की पूजा से की जाती हैं। सूर्योदय के समय स्नान करने के बाद, एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल, और अक्षत डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही, मीन संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। संक्रांति के मुहूर्त पर, सूर्यदेव की पूजा के साथ-साथ गंगा, यमुना, या किसी पवित्र नदी में स्नान करना और गरीबों को दान करना भी पुण्यमय होता है ।गंगा में जाकर स्नान न कर पाने की स्थति में, अपने घर में ही गंगा जल को अपने स्नान करने के जल में मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन के लिए मीना संक्रांति विशेष पूजा करें 🙏 मयूख आदित्य मंदिर, काशी से प्रसाद और पूजा वीडियो प्राप्त करें 🌸
पूजा बुक करने के लिए, यहां क्लिक करें -
जय सूर्य देव ☀️

शेयर करें