दुर्गा कवच: माँ दुर्गा की दिव्य रक्षा – सम्पूर्ण श्लोक, लाभ और विधियाँ
मंगल - 29 अप्रैल 2025
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दुर्गा कवच का परिचय
दुर्गा कवच मार्कंडेय पुराण का एक अत्यंत शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है, जो दुर्गा सप्तशती (देवी महात्म्य) का एक अभिन्न भाग है। यह एक आध्यात्मिक कवच है जो माँ दुर्गा की रक्षा-शक्ति को जाग्रत करता है और साधक को नकारात्मक शक्तियों, रोगों और आपदाओं से बचाता है।
इस लेख में शामिल है:
दुर्गा कवच के सम्पूर्ण श्लोक (संस्कृत और हिंदी अर्थ)
प्रतिदिन जप करने के अद्भुत लाभ
सही विधि जिससे मंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ती है
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
श्रद्धालुओं के सच्चे अनुभव

क्या है दुर्गा कवच?
माँ दुर्गा के दिव्य गुणों की स्तुति करता एक रक्षा कवच
दुर्गा सप्तशती के "रक्षा मंत्र" खंड का भाग
बुरी नजर, काले जादू और दुर्घटनाओं से रक्षा करता है
वैदिक श्लोक:
"यत्र योगेश्वर: कृष्णो, यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।"
(जहाँ योगेश्वर श्रीकृष्ण और धनुर्धारी अर्जुन हैं, वहाँ सदा विजय, समृद्धि और धर्म होता है।)
॥ श्री दुर्गा कवच ॥
(संस्कृत श्लोकों का रोमन लिप्यांतरण और हिंदी अर्थ)
आरंभिक मंत्र (ध्यान मंत्र):
"या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।"
(जो देवी सभी जीवों में शक्ति के रूप में स्थित हैं, उन्हें बारम्बार नमस्कार।)
"रोगान् शोकान् तथा दु:खान्, धन-धान्य-विनाशनम्।
मृत्युं चैवातिसंकटं, नाशयेद्दुर्गा कवचम्।।"
(यह दुर्गा कवच रोग, शोक, दुःख, गरीबी और मृत्यु जैसे संकटों का नाश करता है।)
मुख्य कवच (नवदुर्गा के नाम):
"प्रथमं शैलपुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति, कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पञ्चमं स्कन्दमाता च, षष्ठं कात्यायनी तथा।
सप्तमं कालरात्रिश्च, महागौरी चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च, नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।
उक्तान्येतानि नामानि, महापातकनाशनम्।।"
(इन नवदुर्गा के नामों का स्मरण सभी पापों का नाश करता है।)
समापन श्लोक:
"इदं कवचं पुण्यं, य: पठेत्समाहित:।
तस्य विघ्ननाशं स्यात्, दुर्गा सम्पत्प्रदायिका।।"
(जो भी इस पुण्य कवच का श्रद्धा से पाठ करता है, उसके सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और माँ दुर्गा उसे संपत्ति, सुख और सुरक्षा प्रदान करती हैं।)
उच्चारण कैसे करें? (मुख्य शब्दों के उच्चारण गाइड):
Shailaputri → शै-ला-पुत्री
Brahmacharini → ब्रह्म-हा-चारि-नी
Chandraghanta → चन्द्र-घण्टा
Kushmanda → कूष्मांडा
Skandamata → स्कन्द-मा-ता
Katyayani → कात्यायनी
Kalaratri → काल-रात्रि
Mahagauri → महा-गौरी
Siddhidatri → सिद्धि-दात्री
दुर्गा कवच के 7 चमत्कारी लाभ:
1 .नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
बुरी नजर, तंत्र-मंत्र से रक्षा
2. स्वास्थ्य व शांति
मानसिक तनाव, रोगों से मुक्ति
3. आर्थिक स्थिरता
कर्ज़, घाटा और गरीबी से छुटकारा
4. शत्रु पर विजय
भय, कोर्ट केस और विरोधियों से मुक्ति
5. आध्यात्मिक उत्थान
आत्मशक्ति और ऊर्जा का जागरण
6. यात्रा व दुर्घटनाओं से रक्षा
गाड़ी, चोरी, यात्रा दुर्घटनाओं से सुरक्षा
7. पारिवारिक सुख-शांति
दांपत्य जीवन व घर में सामंजस्य
दुर्गा कवच का सही जप विधि:
1. शुभ समय:
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 – 6 बजे)
संध्या काल (शाम 5 – 7 बजे)
नवरात्रि में विशेष फलदायी
2. तैयारी:
स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें
घी का दीपक और धूप जलाएं
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें
3. न्यास (ऊर्जा जागरण):
सिर: "ॐ श्री दुर्गायै शिरसे नमः"
नेत्र: "ॐ श्री दुर्गायै नेत्राभ्यां नमः"
हृदय: "ॐ श्री दुर्गायै हृदयाय नमः"
4. नियमित अभ्यास:
न्यूनतम: 1 बार प्रति दिन
आदर्श: 3 बार (प्रातः, दोपहर, संध्या)
आपात स्थिति: 11 बार (दुर्गा यंत्र के साथ)
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य:
मंत्र ऊर्जा (बीज मंत्र "ह्रीं", "दूं")
सुरक्षा और शक्ति का कंपन क्षेत्र बनाते हैं
मानसिक प्रभाव
चिंता, अवसाद, PTSD में राहत
योग दृष्टिकोण
सहस्रार चक्र को सक्रिय करता है
वास्तविक चमत्कारी अनुभव:
कथा 1: व्यवसायी कर्ज़ से बचा
समस्या: काला जादू व आर्थिक हानि
उपाय: 21 बार जप, 40 दिन तक
परिणाम: व्यापार पुनः चला, दुश्मनों का भंडाफोड़
कथा 2: महिला असाध्य रोग से मुक्त
समस्या: ऑटोइम्यून बीमारी
उपाय: शुद्ध घी का दीप जलाकर कवच का पाठ
परिणाम: 6 महीनों में 90% सुधार
कौन करें दुर्गा कवच का जप?
जो भय, ऋण, या शत्रु से पीड़ित हैं
विद्यार्थी जिनकी पढ़ाई या करियर में रुकावट है
महिलाएं जो आत्मबल और सुरक्षा चाहती हैं
आध्यात्मिक साधक जो शक्ति जागरण की ओर बढ़ रहे हैं
कब न करें?
क्रोध या अहंकार के साथ
बिना श्रद्धा या विश्वास के
निष्कर्ष: आपका अदृश्य सुरक्षा कवच
दुर्गा कवच केवल एक स्तोत्र नहीं, माँ दुर्गा की जीवंत ऊर्जा है। श्रद्धा, नियम और पवित्रता के साथ इसका पाठ आपके जीवन में असंभव को भी संभव बना सकता है।
नवरात्रि में 9 दिन इसका जप करें और स्वयं चमत्कार का अनुभव करें!
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