ओंकारेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश
बुध - 29 मई 2024
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ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो भारत के मध्य प्रदेश में खंडवा शहर के पास नर्मदा नदी के एक द्वीप पर मांधाता में स्थित है। यह शिव के 12 पूजनीय ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मांधाता द्वीप पर स्थित है, जिसका आकार देवनागरी लिपि में दिव्य प्रतीक "ओम" जैसा है। मंदिर में एक लिंगम है, जो भगवान शिव का एक अमूर्त प्रतिनिधित्व है, और यह इतिहास और संस्कृति से समृद्ध एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। आगंतुक शहर में अन्य पर्यटक स्थलों जैसे मांडवगढ़ और काजल रजनी गुफा का भी पता लगा सकते हैं, जो सुरम्य परिदृश्य और ऐतिहासिक वास्तुकला प्रदान करते हैं। ओंकारेश्वर में महा शिवरात्रि जैसे विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं, जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं।
विषय सूची
1. ओंकारेश्वर मंदिर का महत्व
2. 24 अवतार ओंकारेश्वर मंदिर
3. ओंकारेश्वर मंदिर के पास दर्शनिक स्थल
4. ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला
5. ओंकारेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
6. ओंकारेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?

ओंकारेश्वर मंदिर का महत्व
ओंकारेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह भगवान शिव को समर्पित है और शिव के 12 प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि यह मंदिर स्वयं भगवान शिव का अवतार है, जो इसे भगवान से आशीर्वाद पाने वाले भक्तों को आकर्षित करने वाला एक सच्चा पवित्र स्थान बनाता है। नर्मदा नदी में एक द्वीप पर स्थित, प्राकृतिक सुंदरता के बीच मंदिर का स्थान इसकी पवित्रता को बढ़ाता है, द्वीप का आकार देवनागरी लिपि में दिव्य प्रतीक "ओम" जैसा है, जो हिंदू धर्म में एक पवित्र ध्वनि है। मंदिर का इतिहास किंवदंतियों से समृद्ध है, जिसमें विंध्य, मांधाता और देवों और दानवों के बीच युद्ध की कहानियाँ शामिल हैं, जो सभी इसके धार्मिक महत्व में योगदान करते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर में मनाए जाने वाले महा शिवरात्रि जैसे त्यौहार भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो हिंदू धर्म में इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाते हैं। मंदिर की वास्तुकला, त्यौहार और आध्यात्मिक प्रथाएँ इसे हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाती हैं जो आध्यात्मिक आशीर्वाद और भगवान शिव से जुड़ाव चाहते हैं।
24 अवतार ओंकारेश्वर मंदिर
ओंकारेश्वर में 24 अवतार मंदिर, जिसे श्री 24 अवतार मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के इंदौर के पास देपालपुर में स्थित एक अनूठा हिंदू मंदिर है। यह ओंकारेश्वर में स्थित नहीं है, जो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए जाना जाने वाला एक अलग शहर है। 24 अवतार मंदिर में भगवान विष्णु के 24 अवतारों के साथ-साथ भगवान शिव के 11 रुद्र अवतारों का प्रतिनिधित्व करने वाली मूर्तियाँ हैं। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ विष्णु के सभी अवतार उनके विराट (ब्रह्मांडीय) रूप में विराजमान हैं। मंदिर परिसर 30 बीघा (लगभग 12 एकड़) के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे लगभग 100 कारीगरों की मदद से बनाया गया था। मुख्य मंदिर का टॉवर 125 फीट ऊँचा है 2023 तक, विष्णु के 24 अवतारों में से 23 को स्थापित किया जा चुका है, जबकि अंतिम अवतार, कल्कि को अभी भी स्थापित किया जाना है। यह मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है, जो अपनी भव्यता और जटिल नक्काशी की प्रशंसा करने के लिए दूर-दूर से आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह इंदौर शहर से लगभग 45 किमी दूर स्थित है और अप्रैल 2023 तक पूरी तरह से बनकर तैयार होने की उम्मीद है।

ओंकारेश्वर मंदिर के पास दर्शनिक स्थल
श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग: ब्रह्मपुरी में स्थित यह मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर के पास एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसमें जटिल नक्काशी और धार्मिक महत्व है।
नर्मदा नदी घाट: मांधाता में ओंकारेश्वर घाट पर नर्मदा नदी की सुंदरता का अनुभव करने के लिए यह सबसे अच्छा स्थान है, यह श्रद्धालु के लिए एक शांत स्थान है। नर्मदा नदी ओंकारेश्वर से होकर बहती है, जिससे मंधाता नामक एक द्वीप बनता है।
श्री सिद्धनाथ मंदिर, मांधाता: मांधाता में श्री सिद्धनाथ मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। श्री सिद्धनाथ मंदिर एक 13वीं शताब्दी का हिंदू मंदिर है, जो ब्राह्मणिक और इंडो-नागर शैली में बनाया गया है। यह मंदिर मंधाता द्वीप पर स्थित है और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
अभय घाट: मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में अभय घाट, नर्मदा नदी पर स्थित एक पवित्र स्नान घाट है, जो नागर घाट से सटा हुआ है। यह श्रद्धालुओं के लिए एक शांत और स्वच्छ वातावरण प्रदान करता है, जहाँ हर साल लाखों लोग आते हैं।
व्यू पॉइंट - ब्रह्मपुरी में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का व्यू पॉइंटपवित्र स्थल का एक अद्भुत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, जिससे आगंतुकों को दूर से ही मंदिर की भव्यता की सराहना करने का अवसर मिलता है।
ये स्थान ओंकारेश्वर मंदिर के पास धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक आकर्षणों का मिश्रण प्रदान करते हैं, जो आपकी यात्रा को विविध अनुभवों से समृद्ध बनाते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला विभिन्न शैलियों का मिश्रण है, जो इसके समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। मंदिर उत्तर भारतीय वास्तुकला शैली में बनाया गया है, जिसकी विशेषता ऊँची मीनारें और जटिल नक्काशी है। इसके अतिरिक्त, मंदिर में पेशवा स्थापत्य शैली की विशेषता है, जो अपनी सुंदर मीनारों और जटिल नक्काशी के लिए जानी जाती है। मंदिर के डिजाइन में पाँच मंजिला परिसर शामिल है और यह नागर शैली की वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है, जो पारंपरिक तत्वों और कलात्मक शिल्प कौशल का मिश्रण प्रदर्शित करता है।

ओंकारेश्वर मंदिर में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद
शुष्क प्रसाद - अखाद्य और अविनाशी प्रसाद जैसे मेवे, बादाम, काजू, खजूर आदि।
चंदन - चंदन का पेस्ट या टीका जो मूर्ति पर लगाया जाता है।
रुद्राक्ष - रुद्राक्ष की माला या मणि जो भक्तों को प्रसाद के रूप में दी जाती है।
धूप बत्ती - धूप बत्ती जलाकर मूर्ति को अर्पित की जाती है।
लड्डू - लड्डू महाप्रसाद भी कभी-कभी प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
ओंकारेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
ओंकारेश्वर मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। इस अवधि के दौरान, मौसम अपेक्षाकृत ठंडा और सुखद होता है, जो इसे मंदिर के दर्शन और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आदर्श बनाता है। तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो एक आरामदायक तीर्थयात्रा अनुभव सुनिश्चित करता है। बाहरी गतिविधियों और मंदिर अनुष्ठानों के लिए अनुकूल जलवायु के कारण, विशेष रूप से सर्दियों को इस पवित्र स्थल की आध्यात्मिक यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम माना जाता है। इसके अतिरिक्त, इस समय आगंतुकों को फरवरी में महा शिवरात्रि जैसे जीवंत त्योहारों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जो मंदिर के आध्यात्मिक माहौल को बढ़ाता है। कुल मिलाकर, अक्टूबर से मार्च तक के महीने ओंकारेश्वर मंदिर आने वाले भक्तों और पर्यटकों के लिए एक शांत और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव प्रदान करते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?
हवाई जहाज से:
निकटतम हवाई अड्डा: इंदौर में देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा (IDR) ओंकारेश्वर का निकटतम हवाई अड्डा है।
हवाई अड्डे से ओंकारेश्वर तक: आगंतुक हवाई अड्डे से मंदिर तक लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा को कवर करने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकते हैं।
ट्रेन से:
निकटतम रेलवे स्टेशन: ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन (OMRD) ओंकारेश्वर का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो इंदौर जंक्शन और खंडवा जंक्शन जैसे प्रमुख रेलवे जंक्शनों से जुड़ता है।
सड़क मार्ग से:
बस सेवाएँ: ओंकारेश्वर को उज्जैन, खंडवा, खरगोन और इंदौर जैसे शहरों से जोड़ने वाली लगातार बस सेवाएँ हैं।
टैक्सी सेवाएँ: ओंकारेश्वर पहुँचने के लिए टैक्सी भी एक सुविधाजनक विकल्प है, जो यात्रियों के लिए लचीलापन और आराम प्रदान करती है।
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