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गंगा दशहरा: जानें क्या है तिथि, महत्व और पूजा विधि

मंगल - 04 जून 2024

4 मिनट पढ़ें

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गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो स्वर्ग से धरती पर पवित्र नदी गंगा के अवतरण का स्मरण कराता है। हिंदू महीने के ज्येष्ठ में शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि को मनाया जाता है। यह शुभ अवसर भारत में गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। प्राचीन कथाओं में देवी के रूप में पूजी जाने वाली गंगा, राजा भगीरथ के पूर्वजों की आत्माओं को श्राप से मुक्त करने के लिए धरती पर उतरी थीं। यह त्यौहार आत्मा की शुद्धि और अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और गंगा के पवित्र जल में स्नान के माध्यम से मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति का प्रतीक है।

विषय सूची

1. गंगा दशहरा तिथि
2. गंगा दशहरा का महत्व
3. गंगा दशहरा पूजा विधि
4. गंगा दशहरा कैसे मनाया जाता है?
5. गंगा दशहरा पर व्रत करने के लाभ
6. व्रत के दौरान की जाने वाली रस्में 

गंगा दशहरा तिथि

गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। साल 2024 में यह शुभ दिन 16 जून को मनाया जाएगा। तिथि की शुरुआत रात्रि 2 बजकर 32 मिनट पर होगी। और तिथि का समापन 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर होगा।

गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा हिंदू धर्म में गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। यह त्यौहार पवित्र नदी गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने का प्रतीक है, यह एक ऐसा आयोजन है जो अपनी आध्यात्मिक और शुद्धिकरण शक्तियों के लिए मनाया जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के रूप में पूजी जाने वाली गंगा, राजा भगीरथ के पूर्वजों की आत्माओं को श्राप से मुक्त करने के लिए धरती पर उतरी थीं। यह त्यौहार अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और गंगा के पवित्र जल में स्नान के माध्यम से मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति का प्रतीक है।
दशहरा दस शुभ वैदिक गणनाओं का प्रतीक है जो विचारों, कार्यों और वाणी से संबंधित दस पापों को धोने की गंगा की शक्ति को दर्शाता है। संस्कृत में, "दशा" का अर्थ दस और "हरा" का अर्थ है नष्ट करना, इसलिए त्यौहार के दस दिनों के दौरान स्नान करने से व्यक्ति को दस पापों या दस जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन गंगा में डुबकी लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे आत्मा शुद्ध होती है और शारीरिक बीमारियाँ ठीक होती हैं। भक्त हरिद्वार, वाराणसी, इलाहाबाद और पटना जैसे पवित्र शहरों में नदी के तट पर आरती करने और आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।
इस त्यौहार का सांस्कृतिक महत्व भी है, जिसमें पतंगबाजी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और गंगा के किनारे यमुना नदी की पूजा की जाती है। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर दीप दान (नदी में तैरते हुए दीये चढ़ाना) और महाआरती जैसे विस्तृत अनुष्ठान किए जाते हैं।

गंगा दशहरा पूजा विधि

स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके तैयार करें।
गणेश जी की पूजा करके कार्य की शुरुआत करें। मां गंगा की मूर्ति या चित्र को सुंदर स्थान पर रखकर उनका स्वागत करें। गंगा जल से मूर्ति का अभिषेक करें और उसे सुखद सुगंध से प्रसन्न करें। गंगा माता की स्तुति करते हुए उनकी आरती उतारें। गंगा माता को फूल, चंदन, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। गंगा स्तोत्र का पाठ करें या गंगा माता के गुणों का गान करें। अंत में गंगा माता से अपने पापों की क्षमा मांगकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। गंगा जल का दान करके पूजा समाप्त करें। गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करना भी अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है।

गंगा दशहरा कैसे मनाया जाता है

गंगा दशहरा के दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी मां गंगा में स्नान करते है। विधि-विधान से मां गंगा की पूजा-आराधना करते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लोग गंगा के जल में खड़े होकर गंगा देवी का ध्यान और पूजन करते हैं। वे 'ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा' मंत्र का जाप करके गंगा देवी को प्रणाम करते हैं। इस प्रकार गंगा दशहरा का पर्व बड़े आशीर्वाद और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

गंगा दशहरा घर पर मनाने के लिए आप शुभ मुहुर्त में स्नान करके एक तांबे के लोट्ठे में जल लेकर उसमे गंगा जल, अक्षत और फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करना चाहिए। और देवी देवता की पुजा अराधना करना चाहिए।

गंगा दशहरा पर व्रत करने के लाभ

1. गंगा दशहरा पर व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है।
2. इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान करने से विचार, कर्म और वाणी से संबंधित दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
3. गंगा में खड़े होकर गंगा स्तोत्र का पाठ करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं।
4. गंगा दशहरा पर प्रार्थना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और ईश्वर से आशीर्वाद मिलता है।

व्रत के दौरान की जाने वाली रस्में 

1. आंशिक उपवास रखने वाले भक्त व्रत में खाये जाने वाले खाद्य पदार्थ को ग्रहण कर सकते है। और कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।
2. पूजा के हिस्से के रूप में दीये जलाना, दीप दान में भाग लेना और फूल और मिठाई चढ़ाना। भगवान शिव की पूजा करने और स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए व्यक्तिगत रुद्राभिषेक पूजा करना।
3. गंगा मंत्र का पाठ करना, जिससे भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। घाटों पर भव्य गंगा आरती में भाग लेना, जहाँ हज़ारों भक्त पवित्र नदी में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं।

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