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लाभ पंचम मनाना: परंपराएं और रीति-रिवाज

शनि - 19 अक्टू॰ 2024

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लाभ पंचमी का त्योहार दिवाली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। यह आमतौर पर हिंदू महीने कार्तिक के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन पड़ता है। यह त्योहार मुख्य रूप से समृद्धि और सौभाग्य के लिए भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इसे भारत के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में बड़े ही विधि विधान से मनाया जाता है। 

विषयवस्तु

1. लाभ पंचमी: पौराणिक महत्त्व और धार्मिक आस्था
2. पौराणिक महत्त्व
3. धार्मिक आस्था और पूजा विधि
4. लाभ पंचमी लाती है सुख समृद्धि
5. लाभ पंचमी और वर्तमान में इसका महत्व
6. निष्कर्ष

लाभ पंचम मनाना: परंपराएं और रीति-रिवाज - Utsav App

लाभ पंचमी: पौराणिक महत्त्व और धार्मिक आस्था

लाभ पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे दीपावली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः गुजरात और राजस्थान के व्यापारी समाज में विशेष रूप से मनाया जाता है, लेकिन अब इसका महत्त्व संपूर्ण भारत में फैला हुआ है। इस दिन को नए व्यापार और नए कार्य की शुरुआत के रूप में देखा जाता है, और इसे “सौभाग्य पंचमी” के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक महत्त्व

लाभ पंचमी का पौराणिक महत्त्व देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, जो समृद्धि और धन की देवी मानी जाती हैं। यह दिन उनके आशीर्वाद को पाने और जीवन में लाभ एवं सफलता प्राप्त करने का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जो भी व्यक्ति शुद्ध हृदय और समर्पण से पूजा करता है, उसे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है, जिन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि लाभ पंचमी पर श्री गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा और संकट दूर होते हैं और व्यक्ति को सफलता की प्राप्ति होती है।

धार्मिक आस्था और पूजा विधि

लाभ पंचमी के दिन व्यापारी वर्ग अपने बही-खाते और व्यावसायिक दस्तावेजों की पूजा करते हैं। यह दिन नए बही-खाते खोलने और व्यापार में शुभ शुरुआत करने का प्रतीक है। कई लोग इस दिन को धनतेरस या दीपावली के बाद आर्थिक वर्ष की नई शुरुआत के रूप में भी देखते हैं।
इस दिन घरों में सफाई और सजावट का विशेष महत्त्व होता है। लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को सजाते हैं और देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर पूजा करते हैं। पूजा के दौरान “लक्ष्मी स्तोत्र” का पाठ किया जाता है और देवी को पुष्प, नारियल, और मिठाइयां अर्पित की जाती हैं।

लाभ पंचमी लाती है सुख समृद्धि

आर्थिक समृद्धि: लाभ पंचमी की पूजा से घर और व्यापार में आर्थिक लाभ होता है और धन की प्राप्ति होती है।
नए कार्य की शुरुआत: इस दिन को शुभ मानते हुए लोग नए व्यापार, कार्य या सौदे की शुरुआत करते हैं, जिससे व्यवसाय में सफलता मिलती है।
सौभाग्य की प्राप्ति: देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के आशीर्वाद से जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
सकारात्मक ऊर्जा: इस दिन किए गए शुभ कार्य और पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

लाभ पंचमी और वर्तमान में इसका महत्व

आज के समय में लाभ पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखती है। बड़े व्यापारी वर्ग और छोटे व्यवसायी इस दिन को व्यापार के विस्तार और वित्तीय स्थिरता के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन लोग अपने ग्राहकों और सहयोगियों के साथ अच्छे संबंध बनाने के प्रयास करते हैं, जिससे व्यापारिक और व्यक्तिगत जीवन में लाभ होता है।

निष्कर्ष

लाभ पंचमी न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह हमें आस्था, समर्पण और परिश्रम के महत्व की याद दिलाता है। यह दिन हमें सिखाता है कि सफलता और समृद्धि केवल मेहनत और ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है। देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर हम जीवन में उन्नति और शांति की कामना कर सकते हैं।

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