श्री परशुराम आरती
Tue - May 14, 2024
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परशुराम आरती का प्रारंभ भगवान परशुराम की महिमा, उनके वीरता और महत्त्व के साथ होता है। यह आरती उनकी दिव्य गुणों की स्तुति करती है, जो धर्म के पालनकर्ता और दुर्जेय शक्तियों के नाशक के रूप में माने जाते हैं।

॥ श्री परशुराम आरती ॥
ॐ जय परशुधारी,स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत,श्रीपति अवतारी॥
ॐ जय परशुधारी...॥
जमदग्नी सुत नर-सिंह,मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज,त्रिभुवन यश छाया॥
ॐ जय परशुधारी...॥
कांधे सूत्र जनेऊ,गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे,तिलक त्रिपुण्ड भाला॥
ॐ जय परशुधारी...॥
ताम्र श्याम घन केशा,शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय,दुष्ट दलन आंधी॥
ॐ जय परशुधारी...॥
मुख रवि तेज विराजत,रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन,रक्षक दिन रैना॥
ॐ जय परशुधारी...॥
कर शोभित बर परशु,निगमागम ज्ञाता।
कंध चाप-शर वैष्णव,ब्राह्मण कुल त्राता॥
ॐ जय परशुधारी...॥
माता पिता तुम स्वामी,मीत सखा मेरे।
मेरी बिरद संभारो,द्वार पड़ा मैं तेरे॥
ॐ जय परशुधारी...॥
अजर-अमर श्री परशुराम की,आरती जो गावे।
'पूर्णेन्दु' शिव साखि,सुख सम्पति पावे॥
ॐ जय परशुधारी...॥
परशुराम आरती के गाने के कुछ लाभ
1. **ध्यान और शक्ति**: परशुराम आरती का गाना ध्यान, धैर्य, और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता मिलती है।
2. **दुष्टता का नाश**: परशुराम आरती का पाठ करने से असुरी शक्तियों का नाश होता है और धर्म की रक्षा होती है, जिससे जीवन में संतुलन और शांति की प्राप्ति होती है।
3. **धन और समृद्धि**: भगवान परशुराम की कृपा को आमंत्रित करते हुए आरती का गान करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
4. **रोगनिवारण**: इस आरती का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों की निवारण में सहायक होता है और व्यक्ति को अच्छी स्वास्थ्य का आनंद मिलता है।
5. **आत्मिक उन्नति**: परशुराम आरती के गान से आत्मिक उन्नति होती है, जो धार्मिक और नैतिक मूल्यों की ओर ले जाती है।
6. **शांति और सुख**: यह आरती गान करने से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है, जो व्यक्ति को संतुष्टि और आनंद प्रदान करती है।
इसके अलावा, परशुराम आरती को गाने से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत होते हैं, जो व्यक्ति को अपने धार्मिक मूल्यों के प्रति समर्पित करता है।
कब गाना है
परशुराम आरती को कई अवसरों पर गाया जा सकता है
1. **प्रातः काल**: कई लोग अपनी सुबह की पूजा या दिनचर्या के दौरान परशुराम आरती का पाठ करते हैं, जिससे दिन की शुरुआत में भगवान परशुराम के आशीर्वाद से शुभ कार्यों की प्रारंभिक सफलता होती है।
2. **धार्मिक त्योहारों में**: परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया, और अन्य धार्मिक त्योहारों में भी यह आरती गाई जा सकती है, जिससे भक्त भगवान परशुराम के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।
3. **महत्वपूर्ण कार्यों से पहले**: किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत में, जैसे शादी, उद्यान, या किसी अन्य समारोह के दौरान, भगवान परशुराम के आशीर्वाद के लिए आरती का पाठ किया जा सकता है।
4. **धार्मिक उत्सवों में**: पूजा या हवन के दौरान, भगवान परशुराम की पूजा के समय पर भी यह आरती गाई जा सकती है।
5. **संघर्ष या संघर्ष के समय**: जब भी कोई व्यक्ति किसी संघर्ष या मुश्किल का सामना कर रहा हो, तो उसके प्रेरणा, साहस, और आशीर्वाद के लिए आरती का पाठ किया जा सकता है।
इस रूप में, परशुराम आरती को कई अवसरों पर गाया जा सकता है, और इसका महत्व भगवान परशुराम की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के इर्द-गिर्द होता है।
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