श्री विश्वकर्मा आरती
Mon - May 13, 2024
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विश्वकर्मा आरती का प्रारंभ भगवान विश्वकर्मा, दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार की महिमा, सृजनशीलता और हिन्दू पौराणिक कथाओं में महत्व के साथ होता है। इस आरती का प्रारंभ विश्वकर्मा भगवान की दिव्य गुणों, रचनात्मकता, और उनके धर्मिक महत्व की स्तुति के साथ होता है, जैसे कि विश्वकर्मा भगवान ब्रह्माजी, विष्णुजी और महेश्वरजी के आदि देवताओं के लिए स्वर्गीय निवास स्थलों का निर्माण करने वाले दिव्य वास्तुकार हैं।

॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवोप्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनीऔर कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जीदुखियों के दुख टारे॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो...॥
विनय करी भगवान कृष्ण नेद्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा कीप्रभु की लाज बचायो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो...॥
रामचन्द्र ने पूजन कीतब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार कियाप्रभु लंका विजय करावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो...॥
श्री कृष्ण की विजय सुनोप्रभु आके दर्श दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाशमेरा जीवन सफल बनावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो...॥
विश्वकर्मा आरती के गाने के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
1. **शिल्पकला और वास्तुकला में समृद्धि**: विश्वकर्मा आरती का गाना करने से कलाकारों, शिल्पकारों, और अभियंताओं को उनकी कला और वास्तुकला में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। यह आरती भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए उनकी कला और निर्माण क्षमता को बढ़ावा देती है।
2. **निर्माण कार्यों में सफलता**: विश्वकर्मा आरती के गान से निर्माण कार्यों में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कामकाज में विजय प्राप्त होती है और प्रोजेक्ट्स समय पर पूर्ण होते हैं।
3. **कर्मचारियों की सुरक्षा**: विश्वकर्मा आरती का पाठ करने से निर्माण साइट पर काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा और रक्षा में सहायता मिलती है। यह उन्हें दुर्घटनाओं से बचाता है और कार्यस्थल पर शांति और सुरक्षा का माहौल बनाए रखता है।
4. **पेशेवरी और उद्योगिक सफलता**: इस आरती का पाठ करने से उद्योग, व्यावसायिक कार्यक्रमों, और निर्माण क्षेत्र में सफलता और पेशेवरी में वृद्धि होती है।
5. **कला और शिल्प में आदर्शता**: विश्वकर्मा आरती के पाठ से कला, शिल्प, और वास्तुकला में आदर्शता और नई रचनात्मकता की प्रोत्साहना होती है। यह भगवान विश्वकर्मा के प्रेरणा और आशीर्वाद से होता है।
6. **धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि**: विश्वकर्मा आरती का गान धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को प्राप्त करता है, जो कला, शिल्प, और उद्योग
कब गाना है
विश्वकर्मा आरती को कई अवसरों पर गाया जाता है:
1. **विश्वकर्मा जयंती**: भगवान विश्वकर्मा के जन्मोत्सव, जिसे विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है, के दिन विश्वकर्मा आरती गाई जाती है। यह जयंती सितंबर या अक्टूबर महीने में आती है।
2. **निर्माण कार्यों के प्रारंभ में**: कई शिल्पकार, शिल्पी, अभियंता, और पेशेवरों का परंपरागत रूप से निर्माण कार्य की शुरुआत से पहले विश्वकर्मा आरती गाते हैं। यह उनके कार्यों में सफलता और समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद को आमंत्रित करता है।
3. **पूजा समारोहों में**: विश्वकर्मा आरती पूजा समारोह या अन्य धार्मिक रीतिरिवाजों के दौरान गाई जाती है, इसे पूजा अथवा आरती के रूप में शामिल किया जाता है।
4. **कला और शिल्प के आयोजनों में**: कला, शिल्प, और वास्तुकला के क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों या मेलों के दौरान, विश्वकर्मा आरती का पाठ किया जा सकता है।
5. **रोजाना पूजा के रूप में**: कुछ भक्त अपने नियमित धार्मिक अभ्यासों के हिस्से के रूप में विश्वकर्मा आरती को शामिल करते हैं, अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रकटीकरण करते हुए।
अंत में, विश्वकर्मा आरती का प्रारंभ और गाना कई अवसरों पर किया जा सकता है, जो व्यक्तिगत पसंद, धार्मिक अनुष्ठान, और आयोजन की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।
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