En
हिंEn

श्री गजानन महाराज स्तोत्र- सम्पूर्ण पाठ, अर्थ और पढ़ने के लाभ

Mon - Apr 01, 2024

5 min read

Share

श्री गजानन स्तोत्र भगवान श्री गणेश के प्रसिद्ध स्तोत्रों में से एक है। माना जाता है कि जो भी इस स्तोत्र को पाठ मन लगाकर करता है तो दरिद्रता उसे छू भी नहीं पाती है। यहां हम सरल भाषा में अर्थ सहित श्री गजानन स्तोत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। इस स्तोत्र के 21 छंदों में भगवान गणेश के सभी रूपों की स्तुति की गई है। भगवान गणेश को आत्मानन्द, विधि-बोध से रहित, उत्तम बुद्धि के दाता, बुद्धि धारी, प्रशांत चित्त, निर्विकार और सर्वाङ्गपूर्ण बताया गया है।

श्री गजानन महाराज स्तोत्र- सम्पूर्ण पाठ, अर्थ और पढ़ने के लाभ - Utsav App

मंत्र


नारद उवाच -

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥


॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

मंत्र का अर्थ

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
अर्थ - देवाधिदेव महादेव का यह परम पवित्र चरित्र चतुर्वर्ग (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) - की सिद्धि प्रदान करने वाला दाशन है, यह अतीव उदार है. इसकी उदारता का पार नहीं है.

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
अर्थ - साधक को गौरी और विनायक से युक्त, पाँच मुख वाले दश भुजाधारी त्र्यम्बक भगवान शिव का ध्यान करके शिवरक्षास्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
अर्थ - त्रिपुरासुर के विनाशक पुराराति मेरे घ्राण (नाक) की, जगत की रक्षा करने वाले जगत्पति मेरे मुख की, वाणी के स्वामी वागीश्वर मेरी जिह्वा की, शितिकन्धर (नीलकण्ठ) मेरी गर्दन की रक्षा करें.

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
अर्थ - श्री अर्थात सरस्वती यानी वाणी निवास करती है जिनके कण्ठ में, ऎसे श्रीकण्ठ मेरे कण्ठ की, विश्व की धुरी को धारण करने वाले विश्वधुरन्धर शिव मेरे दोनों कन्धों की, पृथ्वी के भारस्वरुप दैत्यादि का संहार करने वाले भूभारसंहर्ता शिव मेरी दोनों भुजाओं की, पिनाक धारण करने वाले पिनाकधृक मेरे दोनों हाथों की रक्षा करें.

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
अर्थ - भगवान शंकर मेरे हृदय की और गिरिजापति मेरे जठरदेश की रक्षा करें. भगवान मृत्युंजय मेरी नाभि की रक्षा करें तथा व्याघ्रचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले भगवान शिव मेरे कटि-प्रदेश की रक्षा करें.

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
अर्थ - दीन, आर्त और शरणागतों के प्रेमी - दीनार्तशरणागतवत्सल मेरे समस्त सक्थियों (हड्डियों) की, महेश्वर मेरे ऊरूओं तथा जगदीश्वर मेरे जानुओं की रक्षा करें.

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अर्थ - जगत्कर्ता मेरे जंघाओं की, गणाधिप दोनों गुल्फों (एड़ी की ऊपरी ग्रंथि) की, करुणासिन्धु दोनों चरणों की तथा भगवान सदाशिव मेरे सभी अंगों की रक्षा करें.

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
अर्थ - जो सुकृती साधक कल्याणकारिणी शक्ति से युक्त इस शिवरक्षास्तोत्र का पाठ करता है, वह समस्त कामनाओं का उपभोग कर अन्त में शिवसायुज्य को प्राप्त करता है.

श्री गजानन महाराज स्तोत्र के लाभ
श्री गजानन महाराज स्तोत्रम एक पवित्र भजन है जो 19वीं शताब्दी में भारत के महाराष्ट्र में रहने वाले एक श्रद्धेय संत श्री गजानन महाराज को समर्पित है। माना जाता है कि गजानन महाराज स्तोत्र का पाठ या जप करने से आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह के विभिन्न लाभ मिलते हैं। इनमें से कुछ लाभों में शामिल हैं:
निःसंदेह, यहां गजानन स्तोत्र का पाठ करने के लाभों को क्रमांकित बिंदुओं में सूचीबद्ध किया गया है:

1. जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना।
2. एकाग्रता और फोकस में वृद्धि.
3. आंतरिक शांति और शांति की प्राप्ति।
4. समृद्धि और सफलता के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद।
5. आसपास से नकारात्मक ऊर्जा की सफाई.
6. संचार कौशल और बुद्धि में सुधार।


स्तोत्र का जाप कैसे करें ?

श्री गजानन महाराज स्तोत्र का जाप करने से पहले, यहां कुछ पारंपरिक प्रथाएं दी गई हैं जिनका पालन भक्त अधिक केंद्रित और सार्थक अनुभव की तैयारी के लिए कर सकते हैं:

आंतरिक सफ़ाई: शारीरिक रूप से साफ़ महसूस करने के लिए स्नान करें या अपने हाथ और चेहरा धो लें। यह आंतरिक शुद्धि का भी प्रतीक हो सकता है।
शांतिपूर्ण वातावरण: विकर्षणों से मुक्त एक शांत, स्वच्छ स्थान ढूंढें जहाँ आप जप पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
साधारण पोशाक: आरामदायक और साफ कपड़े पहनें जिससे आप आराम से बैठ सकें।
भक्तिपूर्ण मानसिकता: श्री गजानन महाराज के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ जप करें। अपने जप के लिए एक इरादा निर्धारित करें, चाहे वह सुरक्षा, शांति या आध्यात्मिक विकास की मांग कर रहा हो।
प्रार्थना (वैकल्पिक): आप जप से पहले श्री गजानन महाराज को एक छोटी प्रार्थना कर सकते हैं, अपना आभार व्यक्त कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद मांग सकते हैं।

श्री गजानन महाराज स्तोत्र का जाप कौन कर सकता है और कब करना चाहिए ?

श्री गजानन महाराज स्तोत्र का जाप कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो श्री गजानन महाराज की दिव्य ऊर्जा से जुड़ना चाहता है और उनका आशीर्वाद लेना चाहता है। इस स्तोत्र का जाप करने के लिए लिंग, उम्र या पृष्ठभूमि के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं है। चाहे आप श्री गजानन महाराज के कट्टर अनुयायी हों या आध्यात्मिक सांत्वना चाहने वाले व्यक्ति हों, आप श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का जाप कर सकते हैं।

Share

🪔

Offer Puja at Holy Temples

🪔
Benefit Header Image

Puja for Ketu Shanti to Make a Powerful Comeback in Life.

Vighneshwara Chaturthi Vishesh Mayureshwar Ganapati Ketu Shanti Maha Comeback Puja

Mayureshwar Ganapati Mandir, Morgaon

Tue - Jan 06, 2026 - Lambodara Sankashti Chaturthi

1.0k+ Devotees

Book Puja