दुर्गा चालीसा हिंदी में – नमो नमो दुर्गे
मंगल - 16 जुल॰ 2024
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नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लाभ
1. आध्यात्मिक उत्थान और आंतरिक सद्भाव:
माँ दुर्गा चालीसा का जाप करने से देवी के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध बनाने में मदद मिलती है। इन पवित्र छंदों का बार-बार पाठ करने से व्यक्ति की चेतना बढ़ती है, आंतरिक शांति बढ़ती है और भीतर सद्भाव की भावना को बढ़ावा मिलता है।
2. नकारात्मकता और बाधाओं से सुरक्षा:
देवी दुर्गा को राक्षसों का नाश करने वाली और धार्मिकता की रक्षक के रूप में पूजा जाता है। माँ दुर्गा चालीसा का जाप करके, भक्त अपने जीवन से नकारात्मकता, बुरी शक्तियों और बाधाओं को दूर करने में उनके दिव्य हस्तक्षेप की कामना करते हैं।
3. एकाग्रता और ध्यान बढ़ाना:
माँ दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ एकाग्रता बढ़ाता है और मानसिक ध्यान में सुधार करता है। आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में, जहाँ विकर्षण बहुत हैं, यह अभ्यास दिमाग को तेज़ करने और माइंडफुलनेस विकसित करने में सहायता करता है।
4. भक्ति और आस्था का विकास:
माँ दुर्गा चालीसा का जाप करने से भक्तों के दिलों में भक्ति और आस्था की गहरी भावना पैदा होती है। भक्ति उनके जीवन में एक मार्गदर्शक शक्ति बन जाती है, जो नैतिक मूल्यों, करुणा और उद्देश्य की भावना को जन्म देती है।
5. आंतरिक शक्ति और साहस:
देवी दुर्गा शक्ति, निडरता और लचीलेपन का प्रतीक हैं। माँ दुर्गा चालीसा का जाप करके, व्यक्ति उनके दिव्य गुणों से प्रेरणा ले सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपना सकते हैं। छंद सशक्तिकरण के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं, आंतरिक शक्ति का पोषण करते हैं, और दृढ़ संकल्प के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस को बढ़ावा देते हैं।
माँ दुर्गा चालीसा का जाप कैसे करें
एक पवित्र स्थान बनाएँ: एक शांत और स्वच्छ स्थान खोजें जहाँ आप आराम से बैठ सकें और दिव्य ऊर्जा से जुड़ सकें।
आह्वान से शुरू करें: एक फलदायी और परिवर्तनकारी जप सत्र के लिए प्रार्थना करके और देवी दुर्गा के आशीर्वाद का आह्वान करके शुरू करें।
भक्ति के साथ पाठ करें: माँ दुर्गा चालीसा के प्रत्येक श्लोक को शब्दों के अर्थ और महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए अत्यंत भक्ति के साथ पढ़ें।
नियमितता बनाए रखें: सर्वोत्तम परिणामों के लिए, नियमित रूप से चालीसा का जाप करना लाभदायक होता है, अधिमानतः प्रत्येक दिन एक ही समय और स्थान पर।
शांति को अपनाएँ: पाठ पूरा करने के बाद, कुछ समय के लिए मौन में बैठें।
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