हिं
हिंEn
होमपूजाभेंटपंचांगराशिफलज्ञान
App Store
Play Store

ऐप डाउनलोड करें

श्री कृष्ण चालीसा / Shri Krishna Chalisa

शुक्र - 12 अप्रैल 2024

4 मिनट पढ़ें

शेयर करें

श्री कृष्ण चालीसा, हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को समर्पित एक धार्मिक ग्रंथ है। यह चालीसा भगवान कृष्ण की महिमा, गुण, और कृपा का वर्णन करती है और उन्हें उनके भक्तों की संतोषप्रद और आशीर्वाद देने वाले रूप में प्रस्तुत करती है। यह चालीसा भक्तों द्वारा प्रतिदिन पाठ की जाती है और उनके जीवन में सकारात्मकता, संतुलन, और शांति का अनुभव कराती है।

चालीसा

॥ दोहा ॥

बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥

जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर नाग नथैया।कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी।होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो।आज लाज भारत की राखो॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

रंजित राजिव नयन विशाला।मोर मुकुट वैजयंती माला॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।कटि किंकणी काछन काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे।छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।आओ कृष्ण बाँसुरी वाले॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो।अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।मसूर धार वारि वर्षाई॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।गोवर्धन नखधारि बचायो॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो।कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा।सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

केतिक महा असुर संहारयो।कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

महि से मृतक छहों सुत लायो।मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी।लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो।भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो।तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे।दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखि प्रेम की महिमा भारी।ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हांके।लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये।भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥

मीरा थी ऐसी मतवाली।विष पी गई बजाकर ताली॥

राना भेजा सांप पिटारी।शालिग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो।उर ते संशय सकल मिटायो॥

तब शत निन्दा करी तत्काला।जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहिं वसन बने नन्दलाला।बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया।डूबत भंवर बचावत नैया॥

सुन्दरदास आस उर धारी।दयादृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो।क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै।बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥

लाभ

श्री कृष्ण चालीसा के पठन से कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं:

1. भगवान कृष्ण की कृपा: चालीसा के पाठ से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आभास होता है।
2. आत्मिक विकास: श्रद्धालु को श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से आत्मिक विकास और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है।
3. मनोशांति: चालीसा के पाठ से मन की शांति और स्थिरता मिलती है और चिंताओं का समाप्त होता है।
4. उच्च साधना: श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से भक्त का उच्च साधना का मार्ग प्रशस्त होता है और उसका जीवन सत्य, धर्म और प्रेम के माध्यम से परिपूर्ण होता है।
5. कर्मफल: चालीसा के पाठ से भक्त के कर्मफल में वृद्धि होती है और उसकी समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं।

इस प्रकार, श्री कृष्ण चालीसा के पाठ से भक्त को श्री कृष्ण की कृपा, आशीर्वाद और प्रेम का अनुभव होता है, जो उसके जीवन को समृद्धि और सुख के साथ भर देता है।

कब और कैसे जप करे?

श्री कृष्ण चालीसा का जप करने के लिए निम्नलिखित ध्यान दें:

1. समय: श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने का सबसे उपयुक्त समय सुबह या शाम है, लेकिन आप इसे किसी भी समय अपने सुधारार्थ जप सकते हैं।
2. स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहां आप बिना किसी विघ्न के चालीसा का जप कर सकें।
3. स्थिरता: चालीसा का जप करते समय शांत और स्थिर मन से करें। मन को अन्य विचारों से मुक्त करें और भगवान कृष्ण की ध्यान में लगाएं।
4. उत्साह: श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करते समय उत्साह और श्रद्धा के साथ करें। अपने मन को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति से भरें।
5. संख्या: चालीसा के पाठ को संख्या में निर्धारित करें। आमतौर पर १०८ बार या २१ बार का जप किया जाता है।
6. नियमितता: श्री कृष्ण चालीसा का नियमित जप करें, यानी हर दिन। इससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और आनंद का अनुभव होगा।

शेयर करें

🪔

गणेश जी को पूजा अर्पित करें

🪔
Benefit Header Image

Puja for Shri Krishna's Blessings

Sri Bankey Bihari Sarva Manokamna Purti Maha Puja

Bankey Bihari Temple, Vrindavan

बुध - 17 सित॰ 2025 - इन्दिरा एकादशी

8.6k+ भक्त