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शीतला अष्टमी पर इन विशेष भोगों से पाएं माता शीतला का आशीर्वाद

मंगल - 01 अप्रैल 2025

3 मिनट पढ़ें

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शीतला अष्टमी 2025 भोग: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शीतला अष्टमी का पावन पर्व 22 मार्च (शनिवार) को मनाया जाएगा। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन माता शीतला को विशेष भोग अर्पित करते हैं, उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। आइए जानें कि इस पावन अवसर पर माता को कौन-कौन से व्यंजन अर्पित करने चाहिए।

विषय सूची

1. शीतला अष्टमी 2025 का परिचय
2. माता शीतला को अर्पित करने योग्य विशेष भोग
- बासी रोटी
- मीठे चावल
- कढ़ी और चावल
- हलवा
- पूआ और मालपुआ
- दही और बूंदी
- सफेद तिल और गुड़ के लड्डू
3. शीतला अष्टमी का महत्व (बसोड़ा पर्व)
4. शीतला अष्टमी की पूजन विधि  

शीतला अष्टमी 2025 का परिचय

शीतला अष्टमी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में बसोड़ा पर्व भी कहते हैं। इस दिन माता शीतला की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें विशेष प्रकार के भोग चढ़ाए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता को बासी भोजन अर्पित करने से परिवार में खुशहाली आती है और रोगों से सुरक्षा मिलती है।

माता शीतला को अर्पित करने योग्य विशेष भोग

1. बासी रोटी
शीतला अष्टमी पर ताजा भोजन नहीं बनाया जाता। इसके बजाय, एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है। पूजा के दिन माता को बासी रोटी का भोग लगाया जाता है, जिसे गुड़ या दही के साथ प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।
2. मीठे चावल
इस दिन गुड़ या चीनी से बने मीठे चावल तैयार किए जाते हैं। इन चावलों को ठंडा करके माता को अर्पित किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए इलायची, नारियल और सूखे मेवे भी मिलाए जाते हैं।
3. कढ़ी और चावल
माता शीतला को बासी कढ़ी-चावल का भोग विशेष रूप से पसंद है। कढ़ी को एक दिन पहले बेसन और दही से तैयार किया जाता है, जिसे अगले दिन ठंडा करके भोग लगाया जाता है।
4. हलवा
गेहूं के आटे या सूजी से बना हलवा भी माता को प्रिय है। इसे घी, चीनी और सूखे मेवों से सजाकर तैयार किया जाता है, जो एक पौष्टिक प्रसाद बन जाता है।
5. पूआ और मालपुआ
गेहूं के आटे या मैदे से बने पूए या मालपुए घी में तलकर चाशनी में डुबोए जाते हैं। यह मीठा व्यंजन माता को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांटा जाता है।
6. दही और बूंदी
माता शीतला को ठंडी चीजें विशेष प्रिय हैं, इसलिए दही और बूंदी का भोग लगाने की परंपरा है। यह प्रसाद गर्मियों में शीतलता प्रदान करता है।
7. सफेद तिल और गुड़ के लड्डू
सफेद तिल और गुड़ से बने लड्डू न केवल पौष्टिक होते हैं बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लाभकारी माने जाते हैं। इन्हें अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं।  

शीतला अष्टमी का महत्व (बसोड़ा पर्व)

इस दिन व्रत रखकर माता शीतला की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। मान्यता है कि यह व्रत चेचक जैसी त्वचा संबंधी बीमारियों से बचाता है। ठंडे भोजन का सेवन करने से माता की कृपा बनी रहती है और परिवार पर उनकी विशेष अनुकंपा रहती है।

शीतला अष्टमी की पूजन विधि

 सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता शीतला की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- फूल, धूप, दीप और अगरबत्ती से पूजन करें।
- विशेष भोग तैयार करके माता को समर्पित करें।
- माता की आरती उतारें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।

शीतला अष्टमी का यह पावन पर्व घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। माता के नियमित पूजन और भोग अर्पित करने से घर-परिवार पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।

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