श्री विष्णु चालीसा / Shri Vishnu Chalisa
शुक्र - 12 अप्रैल 2024
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विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की महिमा, गुण, और कृपा को स्तुति करने वाली हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध चालीसा है। यह चालीसा उनके भक्तों द्वारा नियमित रूप से पाठ की जाती है और उन्हें विष्णु की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव करने में मदद करती है। चालीसा में विष्णु भगवान के गुण, लीलाएं, और महत्व का वर्णन किया गया है, जो उनके भक्तों को उनकी भक्ति में संगीत और प्रेरणा प्रदान करता है। विष्णु चालीसा को पढ़कर और सुनकर व्यक्ति अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और आनंद का अनुभव करता है।
चालीसा
॥ दोहा ॥
विष्णु सुनिए विनय,सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूँ,दीजै ज्ञान बताय॥
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीताम्बर अति सोहत।बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण।कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।रावण आदिक को संहारा॥
आप वाराह रूप बनाया।हिरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया।चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया।रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।असुरन को छबि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया।मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने धुरू प्रहलाद उबारे।हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे।दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुँ आपका किस विधि पूजन।कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण।कौन भाँति मैं करहुँ समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सिवकाई।हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।भव बन्धन से मुक्त कराओ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ।निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
लाभ
विष्णु चालीसा के पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
1. भगवान विष्णु की कृपा: विष्णु चालीसा के पाठ से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आभास होता है।
2. आत्मिक उन्नति: श्रद्धालु को विष्णु चालीसा का पाठ करने से आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है।
3. धर्मिक अधिकार: विष्णु चालीसा के पाठ से व्यक्ति को धर्मिक अधिकार प्राप्त होता है और वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में समर्थ होता है।
4. भय का नाश: चालीसा के पाठ से भय की स्थितियों में सुरक्षा प्राप्त होती है और व्यक्ति को संघर्षों से निपटने की शक्ति मिलती है।
5. मानवता का विकास: विष्णु चालीसा के पाठ से व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है और वह मानवता के उच्च मूल्यों को अपनाता है।
6. धन लाभ: चालीसा के पाठ से व्यक्ति को धन और सम्पत्ति की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
इस प्रकार, विष्णु चालीसा का पाठ करने से भक्त को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं और उसका जीवन समृद्धि और सुख से भर जाता है।
कैसे और कब जप करें ?
विष्णु चालीसा को जप करने के लिए निम्नलिखित तरीके का पालन करें:
1. समय का चयन: विष्णु चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय में किया जा सकता है। इसे दिन के किसी भी समय करने में कोई नियम नहीं है।
2. ध्यानावस्था: पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। अपने मन को शांत और स्थिर करें और ध्यान केंद्रित करें।
3. भक्ति और श्रद्धा से जप करें: विष्णु चालीसा के मंत्रों को भक्ति और श्रद्धा के साथ जपें। इसके द्वारा आप विष्णु भगवान की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।
4.माला का प्रयोग: अगर संभव हो, तो माला (प्रार्थना माला) का प्रयोग करें ताकि आप मंत्रों की संख्या को गिन सकें।
5. नियमित अभ्यास: विष्णु चालीसा का नियमित जप करें, जैसे कि रोज़ाना, साप्ताहिक या किसी विशेष दिन पर।
6. ध्यानावस्था के साथ समाप्त करें: जप समाप्त होने पर, अपने मन को शांत करें और भगवान विष्णु के प्रति आभास करें। उन्हें धन्यवाद दें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
इन निर्देशों का पालन करते हुए, आप विष्णु चालीसा का जप कर सकते हैं और भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।
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