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12 ज्योतिर्लिंग: दर्शन, महत्व, यात्रा और संरचना - जानिए सब कुछ!

बुध - 27 मार्च 2024

6 मिनट पढ़ें

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आज हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कराएंगे, जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। ये 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के विभिन्न रूपों के प्रतीक हैं । और इन दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए हर श्रद्धालु यहां आता है। माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में…

1.क्या है 12 ज्योतिर्लिंग
2.ज्योतिर्लिंग का क्या महत्व है?
3.केवल 12 ज्योतिर्लिंग ही क्यों हैं?
4.क्या ये स्थान ज्योतिर्लिंगों के लिए महत्वपूर्ण
5.12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों की यात्रा को पूरा करने के लिए कितने दिनों की आवश्यकता है?
6.12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों की यात्रा करने के लिए वर्ष का सबसे अच्छा समय क्या है ?
7.क्या इनमें कोई स्थायी संरचना है या सिर्फ खुले में लिंग स्थापित किए गए हैं?
8.सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग कौनसा है
9.12 ज्योतिर्लिंग: यात्रा का समापन

क्या है 12 ज्योतिर्लिंग

12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू लिंग के 12 प्रमुख स्थान हैं। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है "ज्योति का सोमनाथलिंग" या "अग्नि का लिंग"। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में विराजमान हैं।
12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और उनके स्थान इस प्रकार हैं
1. सोमनाथ (गुजरात):गुजरात में स्थित, सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'सोमनाथ' नाम से पूजा जाता है यह ज्योतिर्लिंग समुद्र के किनारे स्थित है और अपनी भव्यता और प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश):आंध्र प्रदेश में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग द्वितीय ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'मल्लिकार्जुन' और 'श्रीकृष्ण' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग श्रीशैल पर्वत पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
3. महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश):मध्य प्रदेश में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तृतीय ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'महाकालेश्वर' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग है।
4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश):मध्य प्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग चतुर्थ ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'ओंकारेश्वर' और 'ममलेश्वर' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है और अपनी अद्भुत वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।
5. केदारनाथ (उत्तराखंड):उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पंचम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'केदारनाथ' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा ज्योतिर्लिंग है।
6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र):महाराष्ट्र में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग षष्ठ ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'भीमाशंकर' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।
7. विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश):उत्तर प्रदेश में स्थित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग सप्तम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'विश्वनाथ' और 'बाबा विश्वनाथ' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग गंगा नदी के किनारे स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है।
8. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र):महाराष्ट्र में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग अष्टम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'त्र्यंबकेश्वर' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
9. वैद्यनाथ (झारखंड):झारखंड में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग नवम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'वैद्यनाथ' और 'बाबा वैद्यनाथ' नाम से पूजा जाता है।यह ज्योतिर्लिंग त्रिकूट पर्वत पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
10. नागेश्वर (गुजरात):गुजरात में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दशम ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'नागेश्वर' नाम से पूजा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना नागों ने की थी।यह ज्योतिर्लिंग द्वारका से 17 किलोमीटर दूर स्थित है।
11. रामेश्वरम (तमिलनाडु):तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग एकादश ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'रामेश्वर' नाम से पूजा जाता है।ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने यहां शिवलिंग स्थापित किया था।यह ज्योतिर्लिंग भारत के दक्षिणी सिरे पर स्थित है और चारों धामों में से एक है।
12. घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को 'घृष्णेश्वर' नाम से पूजा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना देवी पार्वती ने की थी।यह ज्योतिर्लिंग एलोरा के प्रसिद्ध गुफाओं के पास स्थित है।


ज्योतिर्लिंगों का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए, उन्हीं 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है बल्कि इनका महज प्रतिदिन नाम लेने मात्र से जीवन के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं।

केवल 12 ज्योतिर्लिंग ही क्यों हैं?

विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में अलग-अलग व्याख्याएं दी गई हैं।
इसके प्रमुख कारण निम्न है
संख्यात्मक महत्व: 12 संख्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। 12 राशियां, 12 महीने, 12 सूर्य देवता, और 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है।
भौगोलिक वितरण: 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं, जो देश की विविधता और समृद्धि का प्रतीक हैं।
आध्यात्मिक महत्व: 12 ज्योतिर्लिंगों को शिव के स्वयंभू (स्वयं प्रकट) रूप माना जाता है। इन स्थानों पर शिव की शक्ति विशेष रूप से केंद्रित होती है, जिससे भक्तों को मोक्ष प्राप्ति में सहायता मिलती है।
पौराणिक कथाएं: विभिन्न ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी पौराणिक कथाएं हैं जो शिव की महिमा और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन करती हैं।


क्या ये स्थान ज्योतिर्लिंगों के लिए महत्वपूर्ण हैं?

ज्योतिर्लिंगों के लिए विशिष्ट स्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन खास जगहों को चुनने के पीछे कई कारण हैं। धार्मिक रूप से देखें तो 8 ज्योतिर्लिंग स्वयंभू हैं, यानी ये अपने आप प्रकट हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इन स्थानों पर शिव की शक्ति सबसे ज्यादा केंद्रित होती है, इसलिए ये विशेष रूप से पवित्र माने जाते हैं। साथ ही, हर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथाएं इन स्थानों की पवित्रता और महत्व को बताती हैं। कई ज्योतिर्लिंग तो प्राकृतिक रूप से खूबसूरत जगहों पर स्थित हैं, जो इनकी पवित्रता और आध्यात्मिकता को और बढ़ा देते हैं।

12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों की यात्रा को पूरा करने के लिए कितने दिनों की आवश्यकता है?

12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों की यात्रा करने में लगने वाले दिन कई चीजों पर निर्भर करते हैं। आप हवाई जहाज से जल्दी घूम सकते हैं, गाड़ी से घूमने में ज्यादा समय लगेगा। हर मंदिर में आप कितना समय बिताना चाहते हैं, ये भी मायने रखता है। कुछ लोग जल्दी दर्शन कर लेते हैं तो कुछ पूरा दिन या उससे ज्यादा समय लगाते हैं। आप रास्ते में और भी घूमना चाहते हैं तो फिर यात्रा और लंबी हो जाएगी।अगर औसत देखा जाए तो 10-15 दिन लग सकते हैं। जल्दी दर्शन और हवाई जहाज से यात्रा करने पर 7-10 दिन भी हो सकते हैं। वहीं गाड़ी से यात्रा करके हर मंदिर में पूरा समय देने पर 2-3 हफ्ते भी लग सकते हैं।

यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

12 ज्योतिर्लिंगों में से 11 ज्योतिर्लिंगों में स्थायी संरचनाएं हैं, जबकि 1 ज्योतिर्लिंग (केदारनाथ) में खुले में लिंग स्थापित किया गया है।
स्थायी संरचना वाले ज्योतिर्लिंग:
सोमनाथ, गुजरात
श्री शैल मल्लिकार्जुन, आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश
भीमाशंकर, महाराष्ट्र
त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र
वैद्यनाथ, झारखंड
नागेश्वर, गुजरात
रामेश्वरम, तमिलनाडु
काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश
घृष्णेश्वर, महाराष्ट्र
खुले में स्थापित लिंग:केदारनाथ, उत्तराखंड केदारनाथ में, भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग एक प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में स्थापित है, जो खुले में स्थित है

 सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग

वाराणसी का काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और यह ज्ञान, मोक्ष और सृष्टि का प्रतीक है।


12 ज्योतिर्लिंग: यात्रा का समापन

12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव है जो जीवन बदलने वाला हो सकता है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अपनी कहानी और महिमा है। इस यात्रा के दौरान आप भगवान शिव की शक्ति और भव्यता का अनुभव करते हैं।यात्रा के अंत में, आप एक आध्यात्मिक रूप से समृद्ध व्यक्ति बनकर लौटते हैं। आपके मन में शांति और आत्मविश्वास होता है। आप जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं और भगवान शिव के प्रति आपकी भक्ति और गहरी हो जाती है।

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