भाई दूज 2024 तिथि: समय, महत्व और पूरे भारत में उत्सव
शुक्र - 25 अक्तू॰ 2024
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भाई दूज उर्फ भाई टीका, दीपावली के 2 दिन बाद मनाया जाता है। भाई दूज पूरे भारत में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और इसका महत्व भी एक जैसा ही है। भाई दूज भाई और बहन के बीच के बंधन का प्रतीक है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का उत्सव रक्षा बंधन से काफी मिलता-जुलता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। इस पोस्ट में हम भाई दूज से जुड़ी आपकी सभी शंकाओं का समाधान करेंगे जैसे कि भाई दूज कैसे और क्यों मनाया जाता है, पूजा विधि (अनुष्ठान), शुभ मुहूर्त, मंत्र और भाई दूज पूरे भारत में कैसे मनाया जाता है।
विषय सूची
भाई दूज अवलोकन
2024 में भाई दूज की तिथि और समय
भाई दूज और रक्षा बंधन के बीच अंतर
भाई दूज का महत्व
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज से जुड़ी कहानियाँ
भाई दूज की पूजा कैसे करें

भाई दूज अवलोकन
भाई दूज, भाई टीका, भाऊबीज, भाई बीज, भाई फोंटा या भ्रातृ द्वितीया पूरे भारत में मनाई जाती है। भाई शब्द का अर्थ है भाई और दूज का अर्थ है अमावस्या के बाद दूसरा दिन। यह पूजा पूरी तरह से मृत्यु के देवता को समर्पित है जो माँ यमुना के भाई हैं। यह पूजा बहनें अपने भाइयों की अकाल मृत्यु, नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य को दूर भगाने के लिए करती हैं। इस दिन बहनें अपने भाई की सलामती और लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
2024 में भाई दूज की तिथि और समय
आप सोच रहे होंगे कि भाई दूज कब मनाई जाती है, पूजा का समय क्या है, इत्यादि। भाई दूज उत्सव के बारे में नीचे दिए गए विवरण देखें:
भाई दूज तिथि: 3 नवंबर रविवार को
भाई दूज पूजा का समय: 2 नवंबर रात के 8:21 से - 3 नवंबर रात के 10:05 तक
भाई दूज और रक्षा बंधन के बीच अंतर
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रक्षा बंधन श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली पर चोट लगने से जुड़ा है। तब राजकुमारी द्रौपदी ने अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा निकालकर खून बहने से रोकने के लिए उनकी उंगली पर बांधकर उनकी मदद की।श्री कृष्ण राजकुमारी द्रौपदी के इस भाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने राजकुमारी द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया।
दूसरी ओर, भाई दूज तब शुरू हुआ जब यमराज की जुड़वां बहन यमुना बहुत खुश हुई जब उनके भाई कई दिनों के इंतजार के बाद उनसे मिलने आए और उन्होंने माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया।
तो संक्षेप में, रक्षा बंधन में बहन अपने भाई की कलाई पर भाई द्वारा उसकी रक्षा के बदले में एक पवित्र धागा बांधती है, और भाई दूज में बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है, जो उनके बीच प्रेम को दर्शाता है।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज भाई और बहन के प्यार का त्योहार है। भारत में भाई दूज का महत्व हर राज्य में अलग-अलग है। यह शुभ दिन निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
प्यार का जश्न मनाना: भाई दूज भाई और बहन के बीच प्यार और बंधन का प्रतिनिधित्व करता है।
उपहार देना: एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का जश्न मनाने के लिए, भाई-बहन मिठाई और उपहार भी देते हैं।
शुभ दिन: यह दिन जीवन में समृद्धि और दीर्घायु लाने के लिए मनाया जाता है।
सौभाग्य लाना: बुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए पूजा की जाती है।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज मुख्य रूप से भाई और बहन के बीच के बंधन का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। पूरे भारत में भाई दूज का नाम अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है, लेकिन उत्सव एक ही है। इस त्यौहार में बहनें अपने भाइयों के लिए सौभाग्य और दीर्घायु लाने के लिए सूर्योदय से लेकर अनुष्ठान पूरा होने तक पूजा और उपवास करती हैं। यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।
दिवाली के बाद भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण दुष्टों को हराकर अपनी बहन के पास लौटे थे। उनकी बहन ने दिवाली के दूसरे दिन उनका तिलक, मिठाई और फूलों से स्वागत किया था। इसलिए यह दिन भाई-बहन के बंधन को समर्पित है और दिवाली के बाद भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज से जुड़ी कहानियाँ
भाई दूज से दो हिंदू पौराणिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं और यह त्यौहार इन दो कहानियों के आधार पर मनाया जाता है:
1. भगवान कृष्ण और सुभद्रा
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने दुष्ट राक्षस नरकासुर को हराया और अपनी बहन सुभद्रा के पास लौट आए। तब सुभद्रा ने उनका स्वागत पूरे हर्षोल्लास, फूलों और मिठाइयों के साथ किया। उन्होंने श्री कृष्ण के माथे पर तिलक भी लगाया। कुछ लोगों का मानना है कि यह भाई दूज उत्सव की शुरुआत है।
2. भगवान यम और यमुना
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भाई दूज तब मनाया जाता है जब भगवान यम इतने दिनों के बाद अपनी बहन से मिलने जाते हैं कि उनकी बहन यमुना बहुत खुश हो जाती है और मिठाई, फूल और लाल तिलक लगाकर उनका स्वागत करती है। इससे, भगवान यम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने घोषणा की कि अगर कोई बहन इस दिन उन्हें तिलक लगाएगी और भोजन कराएगी तो उसे लंबी और खुशहाल जिंदगी का आशीर्वाद मिलेगा।
भाई दूज पूजा कैसे करें
कुछ जगहों पर, यह प्रक्रिया अलग हो सकती है लेकिन भारत में अधिकांश जगहों पर, पूजा इसी विधि से की जाती है।
भाई दूज के शुभ दिन पर, बहनें अपने भाइयों को एक स्वादिष्ट भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं जिसमें कई भारतीय व्यंजन और मिठाइयाँ होती हैं, आरती करती है और अपने भाई के माथे पर लाल तिलक या टीका लगाती है। दोनों एक दूसरे के लंबे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करते हैं। उसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार या नकद राशि देकर आशीर्वाद भी देते हैं।
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