दिवाली 2024: रोशनी के त्योहार के उत्सव, अनुष्ठान और महत्व के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका
मंगल - 15 अक्तू॰ 2024
4 मिनट पढ़ें
शेयर करें
दीपावली, जिसे 'दिवाली' भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख और भव्य त्योहार है। यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। दीपों का यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। दीपावली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व है।
विषयवस्तु
1. इस बार कब मनेगी दिवाली
2. दिवाली 2024 की तारीख
3. दीपावली का पौराणिक महत्त्व
4. दीपावली के पांच दिन
5. धनतेरस (29 अक्टूबर 2024)
6. नरक चतुर्दशी (30 अक्टूबर 2024)
7. दीपावली (31 नवंबर 2024)
8. गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024)
9. भाई दूज (3 नवंबर 2024)
10. दीपावली की आधुनिक संदर्भ में महत्ता
11. निष्कर्ष

इस बार कब मनेगी दिवाली
Diwali Date 2024: हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाते हैं। इस बार दिवाली की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग दिवाली 31 अक्टूबर को कह रहे हैं तो कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली की बात कह रहे हैं। इस स्थिति में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल दिवाली कब है? साथ में आपको लक्ष्मी पूजा का कैलेंडर भी बता रहे हैं ताकि आपको अन्य त्योहारों की तारीखों को लेकर असमंजस की स्थिति न रहे।
दिवाली 2024 की तारीख
वैदिक पंचांग के अनुसार, दिवाली के लिए जरूरी कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट से शुरु हो रही है। इस तिथि का समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर शुक्रवार को है। दिवाली की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में करना ही शास्त्र सम्मत है।
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद प्राप्त होता है। इस बारे में ज्योतिर्विदों का कहना है कि 1 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद जल्द ही खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष काल कम समय का प्राप्त होगा। अमावस्या को निशिता मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा का महत्व है। 1 नवंबर को निशिता मुहूर्त प्राप्त नहीं हो रही है। ऐसे में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना ठीक है।
दीपावली का पौराणिक महत्त्व
दीपावली का सबसे प्रमुख पौराणिक संदर्भ भगवान राम के अयोध्या लौटने से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने नगर को दीपों से सजाया। इस दिन को अयोध्या के लोगों ने उत्सव के रूप में मनाया और तब से यह परंपरा दीपावली के रूप में चली आ रही है।
इसके अतिरिक्त, दीपावली देवी लक्ष्मी के पूजन का भी प्रमुख अवसर है। देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और व्यापारिक स्थानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं, ताकि उनके जीवन में समृद्धि और सफलता का आगमन हो।
दीपावली के पांच दिन
धनतेरस (29 अक्टूबर 2024):
इस दिन लोग अपने घरों के लिए नए बर्तन, आभूषण और धातु की वस्तुएं खरीदते हैं। यह दिन स्वास्थ्य और धन के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा का दिन होता है।
नरक चतुर्दशी (30 अक्टूबर 2024):
इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में इस दिन को मनाया जाता है। लोग घर की सफाई करते हैं और शाम को दीप जलाते हैं।
दीपावली (31 नवंबर 2024):
इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्त्व है। देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। घरों को दीपों, रंगोली और फूलों से सजाया जाता है, और रात को आतिशबाजी की जाती है।
गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024):
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ी है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है।
भाई दूज (3 नवंबर 2024):
भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और भाइयों द्वारा बहनों को उपहार दिए जाते हैं।
दीपावली की आधुनिक संदर्भ में महत्ता
समय के साथ दीपावली का महत्त्व केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है। यह पर्व अब एक सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक उत्सव बन गया है। दीपावली परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर समय बिताने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और खुशियां बांटने का अवसर है।
हाल के वर्षों में दीपावली को पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के साथ मनाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। लोग अब पटाखों की जगह दीयों और मोमबत्तियों का अधिक प्रयोग कर रहे हैं, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। 'ग्रीन दिवाली' की अवधारणा अब समाज में लोकप्रिय हो रही है, जहां पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए त्योहार मनाया जाता है।
दीपावली का समाजिक और आर्थिक महत्त्व
दीपावली का समाजिक और आर्थिक महत्त्व भी कम नहीं है। व्यापारियों और दुकानदारों के लिए यह समय विशेष लाभ का होता है क्योंकि इस दौरान लोग जमकर खरीदारी करते हैं। विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, आभूषण, कपड़े और सजावटी वस्तुओं की बिक्री में उछाल आता है।
सामाजिक दृष्टि से, दीपावली का त्योहार लोगों को एकजुट करता है और समाज में भाईचारा और प्रेम की भावना को मजबूत करता है। विभिन्न समुदायों के लोग इस त्योहार को मिलजुल कर मनाते हैं, जिससे आपसी संबंधों में मजबूती आती है।
निष्कर्ष
दीपावली 2024 एक ऐसा अवसर है जो न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है, यह एक भावना है, जो हमें हर साल नए उत्साह और उमंग के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
शुभ दीपावली!
शेयर करें