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मोहिनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और आध्यात्मिक लाभ

शुक्र - 25 अप्रैल 2025

5 मिनट पढ़ें

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परिचय

मोहिनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार सबसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण उपवास तिथियों में से एक है, जो भगवान विष्णु—सृष्टि के पालनकर्ता—को समर्पित होती है। यह एकादशी वैशाख माह (अप्रैल-मई) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और भारत सहित पूरे विश्व में हिंदुओं द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है।
"मोहिनी" शब्द भगवान विष्णु के उस मोहक स्त्री स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है जिसे उन्होंने धर्म की रक्षा करने और युद्ध के बजाय दिव्य रणनीति से असुरों को हराने के लिए धारण किया था। इस कारण यह एकादशी न केवल उपवास की दृष्टि से, बल्कि आत्मिक परिवर्तन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह आत्मसमर्पण, आत्मचिंतन और आत्मा से पुनः जुड़ने का दिन होता है।
2025 में मोहिनी एकादशी गुरुवार, 8 मई को मनाई जाएगी। इस व्रत का पालन करने से कर्म शुद्ध होते हैं, माया (भ्रम) का नाश होता है, मन को शांति मिलती है और मोक्ष (आत्मा की मुक्ति) का मार्ग प्रशस्त होता है।

इस ब्लॉग में शामिल विषय:

   मोहिनी एकादशी 2025 की तिथि व समय
• मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा
• मोहिनी एकादशी आध्यात्मिक महत्व और लाभ
• मोहिनी एकादशी व्रत नियम व भोजन संबंधी दिशा-निर्देश
• मोहिनी एकादशी पूजा विधि व मंत्र
• मोहिनी एकादशी व्रत पारण कब और कैसे करें
• मोहिनी एकादशी पर दान का महत्व 

1. मोहिनी एकादशी 2025 की तिथि व समय

 एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 मई 2025 (रात्रि में)
एकादशी तिथि समाप्त: 8 मई 2025 (रात्रि में)
पूजा व व्रत का सर्वश्रेष्ठ समय: सुबह 7 बजे से 10 बजे के बीच
पारण (व्रत खोलने का समय): 9 मई 2025 को सूर्योदय के बाद (सुबह 6:30 बजे से)
नोट: पंचांग समय स्थान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। अपने क्षेत्रीय पंचांग या ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।

2. मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा

मोहिनी एकादशी की कथा मुख्य रूप से पद्म पुराण में मिलती है और इसका संबंध समुद्र मंथन से है। देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत की प्राप्ति हेतु समुद्र मंथन किया। जब अमृत प्रकट हुआ, तो उसे प्राप्त करने को लेकर दोनों पक्षों में भीषण संघर्ष हुआ।
तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया—एक अत्यंत सुंदर, आकर्षक स्त्री के रूप में। मोहिनी रूप में भगवान ने असुरों को अपने रूप से मोहित कर अमृत के वितरण की अनुमति प्राप्त की और केवल देवताओं को अमृत पिलाया। इस प्रकार धर्म की रक्षा हुई। यह रूप बताता है कि धर्म की विजय के लिए कभी-कभी युद्ध नहीं, बल्कि विवेक और माया की भी आवश्यकता होती है।
एक अन्य कथा में राजा धुंधुमार की कथा आती है, जिन्हें पूर्व जन्म के पापों के कारण एक भयंकर श्राप मिला था। उन्होंने महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया और श्राप से मुक्त होकर सुख-समृद्धि प्राप्त की।
ये दोनों कथाएं भक्ति, तपस्या, आत्मिक अनुशासन और कर्मों से मुक्ति के आध्यात्मिक पक्ष को उजागर करती हैं।

3. मोहिनी एकादशी आध्यात्मिक महत्व और लाभ

 मोहिनी एकादशी का व्रत केवल शारीरिक उपवास नहीं बल्कि आध्यात्मिक शुद्धिकरण और ईश्वर से जुड़ाव का माध्यम है।
• कर्म शुद्धि – वर्तमान व पूर्व जन्म के पापों का नाश
• आंतरिक शांति – मन की स्थिरता, संबंधों में संतुलन, मानसिक स्पष्टता
• मोक्ष प्राप्ति – केवल व्यक्ति ही नहीं, पितरों को भी शांति प्रदान करता है
• इच्छा पूर्ति – सच्ची प्रार्थना व अनुशासित व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
• माया से मुक्ति – सांसारिक मोह, भ्रम व असमंजस से छुटकारा
• भक्ति में वृद्धि – भगवान विष्णु से जुड़ाव गहरा होता है
यह दिन आत्मिक पुनःस्थापन, मार्गदर्शन और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त साधन है।

4. व्रत नियम व भोजन निर्देश

 मोहिनी एकादशी के दिन मन, कर्म और आहार की पवित्रता पर विशेष बल दिया जाता है। तमसिक आहार से बचना चाहिए और सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए।
क्या खाएं?
• ताजे फल: केला, सेब, अनार, जामुन
• दुग्ध पदार्थ: दूध, दही, पनीर
• व्रत के आटे: साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा
• उबली हुई सब्जियां: आलू, शकरकंद
सेंधा नमक (सामान्य नमक नहीं)
• सूखे मेवे: बादाम, किशमिश, खजूर, काजू

क्या न खाएं?

अनाज: चावल, गेहूं, दालें
• मांसाहारी भोजन व अंडा
• प्याज, लहसुन, मशरूम
• शराब व अन्य मादक पदार्थ
• तला हुआ, तीखा, अधिक मसालेदार भोजन
नोट: वृद्ध, रोगी, गर्भवती महिलाएं या जो पूर्ण उपवास नहीं कर सकते, वे बिना अनाज व तमसिक वस्तुओं के एक बार सात्विक भोजन कर सकते हैं। पानी व दूध लेते रहना चाहिए जब तक निर्जल (निर्जला) व्रत न हो।

5. मोहिनी एकादशी पूजा विधि (सरल चरण)

पूजा श्रद्धा से की जाए तो साधारण पूजा भी उतनी ही फलदायी होती है जितनी कोई भव्य आयोजन।
सुबह की तैयारी: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें व स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
वेदी स्थापना: पूजा स्थान को साफ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजन सामग्री अर्पण: तुलसी पत्ते, मौसमी फल, पुष्प, धूपबत्ती, घी का दीपक अर्पित करें।
मंत्र जाप:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" – 108 बार
"ॐ विष्णवे नमः" – दिनभर जप करें

व्रत कथा पाठ: मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
ध्यान: भगवान विष्णु के स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करें।
दान: दिन के अंत में अन्न, वस्त्र या धन का दान करें—गरीबों या विष्णु मंदिर में।

6. व्रत पारण कब और कैसे करें?

पारण यानी व्रत समाप्त करना उचित समय और विधि से करना आवश्यक है ताकि व्रत के संपूर्ण पुण्य प्राप्त हों।
पारण दिशा-निर्देश:
• तिथि: 9 मई 2025 (द्वादशी तिथि)
• समय: प्रातः 6:30 बजे के बाद
• विधि: पहले जल ग्रहण करें, फिर फल या दूध लें।
• बचाव: तुरंत अनाज या भारी भोजन से बचें।
• मनःस्थिति: कृतज्ञता व ध्यान की भावना बनाए रखें।

7. मोहिनी एकादशी पर दान क्यों महत्वपूर्ण है?

दान इस दिन के आध्यात्मिक लाभों को कई गुना बढ़ा देता है।
प्रमुख दान प्रकार:
• अन्नदान: भूख मिटाता है, समृद्धि लाता है
• वस्त्रदान: पवित्रता का प्रतीक, जरूरतमंदों को आराम
• गौदान: सर्वोच्च दान, मोक्ष प्रदान करता है
• दक्षिणा (ब्राह्मण/मंदिर को): आध्यात्मिक संबंधों को सुदृढ़ करता है, कर्म ऋणों से मुक्ति
सच्चे मन से और विनम्रता के साथ किया गया दान आत्मा को पवित्र करता है और समाज में संतुलन लाता है।

निष्कर्ष

मोहिनी एकादशी केवल एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि आत्मा के पुनर्जागरण का अवसर है। चाहे आप शांति चाहते हों, समृद्धि की कामना रखते हों या मोक्ष की इच्छा, यह दिन इन सभी के लिए एक दिव्य मार्ग है। प्रार्थना, अनुशासित व्रत और सेवा के माध्यम से व्यक्ति आंतरिक और बाह्य दोनों स्तरों पर परिवर्तन अनुभव करता है।
भगवान विष्णु आपको इस पावन मोहिनी एकादशी पर स्वास्थ्य, सुख और दिव्य कृपा प्रदान करें।

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