रथ यात्रा 2025 का भव्य उत्सव: तिथि, द्वितीया तिथि और आध्यात्मिक महत्त्व का अनावरण
शनि - 22 जून 2024
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जैसे-जैसे जून का महीना पास आता जा रहा है, वातावरण में भक्ति की महक, मृदंग की गूंज और श्रद्धालुओं की जय-जयकार गूंजने लगती है। यह समय है वर्ष के सबसे भव्य और पवित्र हिंदू त्योहारों में से एक — रथ यात्रा — का। रथ यात्रा 2025 एक बार फिर दुनिया भर के भक्तों का ध्यान ओडिशा के पुरी नगर की ओर खींचेगी, जहाँ भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा अपनी भव्य रथों पर यात्रा करते हैं।
रथ यात्रा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
रथ यात्रा, जिसे 'चariot फेस्टिवल' भी कहा जाता है, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह शुभ दिन शुक्रवार, 27 जून को पड़ेगा। द्वितीया तिथि 26 जून 2025, गुरुवार को 1:24 बजे शुरू होकर 27 जून 2025, शुक्रवार को 11:19 बजे समाप्त होगी। ये समय भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार हैं।
रथ यात्रा का आध्यात्मिक महत्त्व
रथ यात्रा केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक है। इस यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार अपनी जन्मभूमि — गुंडिचा मंदिर — की यात्रा करते हैं और नौ दिन वहीं निवास करते हैं।
🌟 रथ यात्रा के विशेष अर्थ:
दर्शन का दुर्लभ अवसर: भगवान को उनके गर्भगृह से बाहर लाकर जनता के दर्शन हेतु प्रस्तुत किया जाता है। यह उन भक्तों के लिए स्वर्णिम अवसर होता है जिन्हें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होती।
समानता का प्रतीक: सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग मिलकर रथों की रस्सियों को खींचते हैं — यह भगवान जगन्नाथ के समभाव और समर्पण के संदेश को दर्शाता है।
कृष्ण लीला का पुनः अभिनय: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह यात्रा श्रीकृष्ण की गोकुल से मथुरा यात्रा की स्मृति में होती है।
पुण्य और मोक्ष: रथ की रस्सी खींचना, यात्रा देखना या उसमें भाग लेना — इन सभी को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह पापों से मुक्ति और ईश्वरीय कृपा प्रदान करता है।
सांस्कृतिक उत्सव: ओडिशा की कला, संगीत, नृत्य और परंपराएं इस दौरान अपने चरम पर होती हैं। पूरी की सड़कों पर पारंपरिक प्रस्तुतियाँ, रेत की मूर्तियाँ और लोक संस्कृति देखने को मिलती है।

श्री जगन्नाथ मंदिर का महत्व और इतिहास:
पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और बारहवीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंगा द्वारा निर्मित किया गया था। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार, श्री जगन्नाथ को समर्पित है। विशेष बात यह है कि यहाँ भगवान की मूर्तियाँ लकड़ी की बनी होती हैं, और हर 12-19 वर्षों में इन्हें 'नवकलेवर' नामक अनुष्ठान में बदला जाता है।
नीलाद्रि विजे: वापसी यात्रा का भावनात्मक समापन
रथ यात्रा के नौ दिन बाद भगवान वापस अपने मंदिर लौटते हैं — इसे 'नीलाद्रि विजे' कहा जाता है। यह यात्रा भी गहन भक्ति, परंपरा और हर्षोल्लास से परिपूर्ण होती है। भगवान जगन्नाथ को मंदिर में प्रवेश से पूर्व देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना होता है। यह पौराणिक कथा भक्तों को यह सिखाती है कि पारिवारिक संतुलन, प्रेम और क्षमा का महत्व क्या है।
तीन भव्य रथ: वास्तु कला के चमत्कार
रथ यात्रा के तीन विशाल रथ:
नंदीघोष – भगवान जगन्नाथ का रथ (18 पहिए)
तालध्वज – बलभद्र जी का रथ (16 पहिए)
दर्पदलन – सुभद्रा जी का रथ (14 पहिए)
ये रथ प्रत्येक वर्ष विशेष प्रकार की लकड़ियों से निर्मित किए जाते हैं, और उनकी सजावट पारंपरिक कला और शास्त्रीय मानकों के अनुसार होती है। रथ निर्माण की प्रक्रिया कई पीढ़ियों से चली आ रही है और यह पूरे पुरी समुदाय की सामूहिक भागीदारी का प्रतीक है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. रथ यात्रा 2025 की तिथि क्या है?
👉 रथ यात्रा 2025 सोमवार, 30 जून को मनाई जाएगी।
Q2. रथ यात्रा में भाग लेने के क्या लाभ हैं?
👉 इसे देखने या भाग लेने से पापों से मुक्ति, पुण्य और भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है।
Q3. Utsav ऐप से कैसे पूजा बुक करें?
👉 ऐप डाउनलोड करें, “Rath Yatra 2025” चुनें, पूजा बुक करें, और घर बैठे दर्शन एवं प्रसाद प्राप्त करें।
Q4. क्या ऑनलाइन पूजा में नाम लिया जाता है?
👉 हाँ, आपकी ओर से संकल्प में नाम और गोत्र शामिल किया जाता है।
समापन:
रथ यात्रा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह धर्म, कला, इतिहास, और सामुदायिक भावना का संगम है। चाहे आप पुरी में हों या विश्व के किसी भी कोने में, Utsav ऐप के माध्यम से इस भव्य यात्रा का हिस्सा बनें और भगवान जगन्नाथ की कृपा से अपने जीवन को धन्य करें।
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