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सीता नवमी: माँ सीता की जन्म तिथि

गुरु - 09 मई 2024

4 मिनट पढ़ें

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सीता नवमी या सीता जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो भगवान राम की प्रिय पत्नी, सद्गुण का अवतार, करुणा और शक्ति की प्रतिमूर्ति सीता के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह शुभ दिन पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, क्योंकि यह दिन माता सीता द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले शाश्वत मूल्यों और आदर्शों की याद दिलाता है। माता सीता को एक आदर्श नारी के रूप में देखा जाता है। सीता नवमी को भारत में कई स्थानों पर माता जानकी जयंती के रूप में भी जाना जाता है।

विषय सूची

1. सीता नवमी तिथि
2. सीता नवमी का महत्व
3. पूजा विधि
4. भारत के विभिन्न भागों में सीता नवमी कैसे मनाई जाती है?
5. व्यंजन

सीता नवमी तिथि और शुभ मूहर्त

तिथि: सीता नवमी हर साल बैसाख पक्ष की शुक्ल नवमी को मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष गृह नक्षत्रों के अनुसार मूहर्त का समय और तारिक अलग अलग होते है। इस वर्ष तिथि की शुरुआत 16 मई गुरुवार को सुबह 9 बजकर 22 मिनट पर होगी। और तिथि का समापन 17 मई शुक्रवार को होगा।
शुभ मूहर्त: सीता नवमी के दिन पूजा का शुभ मूहर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

सीता नवमी का महत्व

1. इस दिन व्रत रखने वाली सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का माता सीता से आशिर्वाद मिलता है।
2. कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
3. जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो या फिर जिन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलने में दिक्कतें आ रही हो, उन्हें इस दिन विशेष रूप से पूजा और व्रत करना शुभ माना जाता है।
4. इस दिन घर में रामायण का अखंड पाठ करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।
5. इस दिन जो राम-सीता का विधि विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है।
6. इस दिन सीता मां को अपना आदर्श मानते हुए पति की लंबी उम्र के लिए औरते व्रत रखती हैं।
7. इस दिन मां सीता की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
8. इस दिन जानकी स्तोत्र, रामचंद्रष्टाकम्, रामचरित मानस आदि का पाठ करने से भक्तो के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

पूजा विधि

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को साफ़ करें।
2. मंदिर में दीपक जलाएं।
3. व्रत करने का संकल्प लें।
4. देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं।
5. शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता सीता और भगवान राम की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
6. फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, फल, धूप, दीप, माला आदि से पूजा करें।
7. माता सीता और भगवान राम को भोग लगाएं। भगवान को सिर्फ़ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।
8. माता सीता और भगवान राम की आरती करें।
9. पूजा के बाद हाथ जोड़कर सुखी दांपत्य जीवन की प्रार्थना करें।
10. शाम के समय में संध्या आरती करें।
11. माता सीता और राम जी के भजन सुनें।
12. सीता जन्म की कथा सुनें।
13. रात्रि जागरण करें।
14. अगले दिन सुबह में स्नान और ध्यान के बाद अपनी क्षमता अनुसार दान दक्षिणा दें।
15. पारण करके व्रत को पूरा करें।

भारत के विभिन्न भागों में सीता नवमी कैसे मनाई जाती है?

सीता नवमी भारत के विभिन्न भागों में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर देवी सीता के सम्मान में देश भर के भक्त व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। उत्तर बिहार में, जिसे उनका जन्मस्थान माना जाता है, सीता नवमी को राम नवमी की तरह ही भव्यता के साथ मनाया जाता है। महिलाएँ व्रत रखती हैं, भगवान राम और देवी सीता को समर्पित मंदिरों में जाती हैं और प्रार्थना करती हैं। कुछ क्षेत्रों में इस दिन को मनाने के लिए रामायण पाठ और भजन-कीर्तन सत्र आयोजित किए जाते हैं। उत्सव में दीये जलाना, मूर्तियों को सजाना, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना और अपने परिवार की भलाई के लिए देवी सीता का आशीर्वाद लेना शामिल है। यह दिन देवी सीता द्वारा सन्निहित मूल्यों के प्रति भक्ति, श्रद्धा और पालन के प्रदर्शन के रूप में चिह्नित है, जो इसे हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवसर बनाता है।

व्यंजन

सीता नवमी के अवसर विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है। इनमे से कुछ निम्नलिखित हैं
पानकम - गुड़ (या चीनी), पानी, इलायची और काली मिर्च से बना एक ताज़ा पेय।
मटर की खीर - हरी मटर, दूध, इलायची और बादाम, पिस्ता और किशमिश जैसे सूखे मेवों से बनी एक स्वादिष्ट मिठाई।
लौकी की खीर - कद्दूकस की हुई लौकी, दूध, इलायची और सूखे मेवों से बनी एक ठंडी और मलाईदार मिठाई।
नारियल के लड्डू - सूखे नारियल, मीठे गाढ़े दूध और इलायची से बनी एक मीठी मिठाई।
सात्विक भोजन - सरल, शाकाहारी व्यंजन जो पूजा के बाद प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।

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