Pohela Boishakh and Baisakhi: इस दिन किया जाएगा बंगाली और पंजाबी नव वर्ष का स्वागत, पोइला बैसाख परंपरा और संस्कृति।
शनि - 06 अप्रैल 2024
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वसंत ऋतु की रंगत और खुशनुमा मौसम, ये वो लम्हे हैं जब हम नए साल की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए तैयार होते हैं। भारत की विविध संस्कृति में इस खुशी को मिल-जुलकर मनाने का रिवाज है। आइए, इस बार हम बांग्ला नव वर्ष -पोइला बैसाख और पंजाब का फसल उत्सव - बैसाखी की परंपराओं को जानते है। ये दोनों ही त्योहार न सिर्फ हमें नए साल की शुभ शुरुआत का एहसास कराते हैं, बल्कि अपने अनोखे रंगों और परंपराओं से भी हमारा मन मोह लेते हैं।

विषय सूची
1.प्रभात फेरी और पोइला बैसाख की शुरुआत
2.पोइला बैसाख का सांस्कृतिक महत्व
3.पोईला बैसाख के दिन की शुरुआत कैसे करे? और संस्कृति
4.पारंपरिक भोजन और व्यंजन
5.बैसाखी
6.बैसाखी का महत्व
7.नगर कीर्तन
8.लंगर (सामुदायिक रसोई)
9.बैसाखी के दिन मेले का आयोजन
10.पंजाबी लोक संगीत और नृत्य
11.पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं
12.बैसाखी जुलूस

प्रभात फेरी और पोइला बैसाख की शुरुआत
बंगाली नववर्ष - पोइला बैसाख, एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, झारखंड, और असम में बंगाली समुदायों द्वारा मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे बांग्लादेश में भी मनाया जाता है। पोइला बैसाख की शुरुआत प्रभात फेरी से होती है जिसे सुबह का जुलूस भी कहा जाता है। यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है इस दिन सुबह सुबह नृत्य मंडलियाँ और बच्चे इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं और रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों पर नृत्य करते हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में यह राज्य के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल पोइला बैसाख 15 अप्रैल को मनाई जाएगी। बांग्लादेश में इसे 14 अप्रैल को मनाया जायेगा।
पोइला बैसाख का सांस्कृतिक महत्व
पोइला बैसाख बंगालियों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है । किसी भी नए व्यवसाय शुरू करने और पुराने कर्ज़ चुकाने के लिए यह बड़ा शुभ दिन माना जाता है।
लोग भगवान और अपने बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं। यह फसल का मौसम है, लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी से उनके जीवन और घरों पर भगवान के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।
पोइला बैसाख केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह नई शुरुआत का प्रतीक भी है। यह लोगों को अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर एक नए जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन लोगों को एकजुट करता है और उन्हें एक नया भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करता है।

पोईला बैसाख के दिन की शुरुआत कैसे करे?
सुबह-सुबह लोग घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। लोग अपने घरों और व्यवसायों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक 'पंजीका' खरीदते हैं। 'पंचभोजन' नामक एक विशेष भोजन तैयार किया जाता है जिसमें पांच प्रकार के व्यंजन होते हैं। लोग एक-दूसरे को नए वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि नृत्य, संगीत और नाटक।
अपने लक्ष्यों की शुरूआत कैसे करे?
पोइला बैसाख को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन नए लक्ष्य निर्धारित करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। पोइला बैसाख एक उत्सव है जो आशा और उल्लास का प्रतीक है। लोग इस दिन भविष्य के लिए अच्छी उम्मीदें रखते हैं और जीवन का आनंद लेते हैं। पोइला बैसाख बंगाली समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह लोगों को एक साथ लाता है और सामुदायिक भावना को मजबूत करता है।

पारंपरिक भोजन और व्यंजन
पंचभोजन पोइला बैसाख का मुख्य भोजन है। इसमें पांच प्रकार के व्यंजन होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
भात: यह मुख्य भोजन है और चावल से बनाया जाता है।
मांसर झोल: यह एक मांस करी है जो विभिन्न प्रकार के मांस से बनाई जा सकती है।
इलिश माछेर झोल: यह इलिश मछली से बनी एक विशेष करी है।
चटनी: यह एक प्रकार का अचार है जो विभिन्न प्रकार की सब्जियों और मसालों से बनाया जाता है।
मिष्टान्न: यह एक प्रकार का मिठाई है जो विभिन्न प्रकार की सामग्री से बनाया जा सकता है।
पंचभोजन के अलावा, कई अन्य पारंपरिक व्यंजन भी हैं जो पोइला बैसाख पर बनाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
लुची: यह एक प्रकार की तली हुई ब्रेड है।
आलू दम : यह एक प्रकार की आलू की करी है।
चोलर दाल : यह एक प्रकार की दाल है।
रासोगोला : यह एक प्रकार की मिठाई है।
पोइला बैसाख एक त्योहार है जिसमे स्वादिष्ट भोजन और व्यंजन बनाने की परम्परा है।
बैसाखी
बैसाखी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसे सिख धर्म का नववर्ष माना जाता है और यह खालसा पंथ के गठन के अवसर पर भी मनाया जाता है। इस त्योहार का महत्व उत्तर भारत में रबी की फसलों के पकने की खुशी का प्रतीक होता है। इस साल बैसाखी 13 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी।
बैसाखी का महत्व
बैसाखी का महत्व इसके धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व में निहित है, जो इसे सिखों, हिंदुओं और अन्य समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार बनाता है। बैसाखी के महत्व को उजागर करने वाले मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
बैसाखी 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की याद दिलाती है, जो सिख समुदाय के जन्म का प्रतीक है। यह सिखों के लिए आध्यात्मिक महत्व का दिन है, जो साहस, बलिदान और निस्वार्थता का प्रतीक है।
यह त्त्योहार फसल के मौसम की शुरुआत का जश्न मनाता है, खासकर पंजाब में, जहाँ यह भरपूर फसल के लिए धन्यवाद का दिन होता है। यह पारंपरिक पोशाक, भांगड़ा और गिद्दा जैसे नृत्य और गुरुद्वारों में प्रार्थना के माध्यम से पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने का समय है।
बैसाखी की ऐतिहासिक जड़ें 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा आयोजित सिख सम्मेलन से जुड़ी हैं, जहाँ खालसा पंथ की शुरुआत हुई थी। यह आयोजन सिख समुदाय को एक धार्मिक और सामाजिक समूह के रूप में आकार देने में महत्वपूर्ण था।
बैसाखी एकता, सामाजिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देती है। लंगर की प्रथा, जहाँ विभिन्न जाति के लोग भोजन साझा करने के लिए एक साथ आते हैं, आपसी सम्मान और सहयोग के मूल्यों को दर्शाता है। यह फसल के मौसम पर चिंतन करने, किसानों की कड़ी मेहनत की सराहना करने और सामुदायिक बंधनों को मजबूत करने का समय है।
बैसाखी एक ऐसा त्योहार है जो गहरा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, जो लोगों को उत्सव, कृतज्ञता और साहस, समुदाय और सद्भाव के मूल्यों पर चिंतन में एकजुट करता है।
नगर कीर्तन
नगर कीर्तन बैसाखी समारोह की एक प्रमुख विशेषता है जहाँ सिख सड़कों पर जुलूस निकालते हैं, भजन गाते हैं और शांति और एकता का संदेश फैलाते हैं। यह सिख संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत प्रदर्शन है, जो सभी क्षेत्रों के प्रतिभागियों और दर्शकों को आकर्षित करता है।

लंगर एक सच्चा व्यवसाय
सिखों के गुरु गुरुनानक ने कहा है कि भूखों और जरूरत मंद लोगों को खाना खिलाना ही सच्चा व्यवसाय है। जिसका अर्थ है लंगर। लंगर, या सामुदायिक रसोई, बैसाखी उत्सव का एक अभिन्न अंग है। यह समानता, सेवा और साझा करने के सिख मूल्यों को दर्शाता है। बैसाखी के दौरान, लंगर का आयोजन किया जाता है जहाँ स्वयंसेवक समुदाय और निस्वार्थ सेवा के महत्व पर जोर देते हुए, उनकी जाति की परवाह किए बिना सभी उपस्थित लोगों के लिए निःशुल्क भोजन तैयार करते हैं और परोसते हैं।
बैसाखी के दिन मेले का आयोजन
इस त्योहार के दौरान बैसाखी मेले आयोजित किए जाते हैं, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शन, पारंपरिक हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजन पेश किए जाते हैं। ये कार्यक्रम समुदायों को एक साथ लाते हैं, सामाजिक संपर्क, मनोरंजन और बैसाखी मनाने वाले पंजाब और अन्य क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
पंजाबी लोक संगीत और नृत्य
पंजाबी लोक संगीत और नृत्य बैसाखी समारोहों का अभिन्न अंग हैं, जो उत्सव में खुशी और जीवंतता जोड़ते हैं। भांगड़ा और गिद्दा जैसे पारंपरिक नृत्य, जीवंत संगीत के साथ, एक उत्सव का माहौल बनाते हैं जहाँ लोग नाचने, गाने और बैसाखी की भावना का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं।
पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं
बैसाखी के दौरान पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं एक मज़ेदार गतिविधि है, जहाँ प्रतिभागी रंगीन पगड़ियाँ बांधने में अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं। यह प्रतियोगिता न केवल सिख परंपरा में पगड़ी के सांस्कृतिक महत्व को उजागर करती है, बल्कि प्रतिभागियों के बीच गर्व और सौहार्द की भावना को भी बढ़ावा देती है, जो उत्सव में उत्साह को ओर बढ़ा देती है।
बैसाखी जुलूस
बैसाखी जुलूस के दौरान भक्त, संगीतकार और समुदाय के सदस्य सिख झंडे लेकर सड़कों पर मार्च करते हैं। हर्ष और एकता का संदेश देते हैं। ये जुलूस एकता, आस्था और बैसाखी की भावना का प्रतीक हैं।
उत्सव के साथ करें प्रसिद्ध मंदिर में पूजा
उत्सव ऐप पूजा की बुकिंग करने के लिए सबसे पसंदीदा पूजा ऐप है। पोइला बैसाख विशेष पूजा कालीघाट मंदिर (कोलकाता), जगन्नाथ मंदिर (महेश, पश्चिम बंगाल), महालक्ष्मी और चिंतामणि गणेश मंदिर में आयोजित की जाएगी। आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पूजा बुक कर सकते हैं। बुकिंग के बाद, पंडित जी आपके नाम और गोत्र का उच्चारण करके आपकी ओर से आपके पसंदीदा मंदिर में पूजा करेंगे। पूजा के बाद आपकी पूजा का वीडियो व्हाट्सएप के माध्यम से आपके साथ शेयर किया जाएगा और प्रसाद आपके घर पर भेजा जाएगा।
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